शनि ग्रह यानि Saturn in hindi हमारे सौर मंडल का छठवां और व्यास एवं द्रव्यमान के हिसाब से बृहस्पति के बाद दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है। बृहस्पति और शनि का वातावरण और रोटेशन काफी हद तक एक समान है जिस वजह से यह दोनों ग्रह एक दूसरे से काफी मेल खाते हैं।
Saturn In Hindi | शनि ग्रह
रोमन माइथोलॉजी के अनुसार Saturn को बृहस्पति का पिता भी कहा जाता है। इस ग्रह की खोज सबसे पहले इटली के मशहूर खगोलज्ञ गैलीलियो ने 1610 में की थी लेकिन वह Saturn के छल्लो के बारे में पता नहीं लग पाया कि वह क्या देख रहा है। फिर 1655 में डच खगोलज्ञ क्रिश्चियन ह्यूजेंस ने अपने बेहतर टेलिस्कोप के माध्यम से शनि ग्रह के छल्लो के बारे में पता लगाया। ह्यूजेंस ने हीं शनि ग्रह के सबसे बड़े चंद्रमा टाइटन का पता लगाया था।
वातावरण और आकार
शनि सौरमंडल के सबसे कम घनत्व वाला ग्रह है। यह मुख्यतः हाइड्रोजन से निर्मित है जिस वजह से इसका घनत्व पानी से भी कम है इस कम घनत्व के कारण तकनीकी रूप से बात करें तो यह पानी में तैर सकता है। हाइड्रोजन की परत ग्रह के अंदर जाते समय और घनी हो जाती है जिस वजह से वह मैटेलिक बन जाती है और ग्रह के बीच में गर्म कोर का निर्माण करती है।
शनि ग्रह की बात करें तो वैज्ञानिकों का मानना है कि यह ग्रह बृहस्पति के 3 परत की संरचना से मेल खाता है। इस ग्रह की अंदरूनी परत चट्टान से बनी हुई है जो कि पृथ्वी से 10 से 20 गुना बड़ी है। यह पूरी परत लिक्विड मैटेलिक हाइड्रोजन से ढकी हुई है और इस ग्रह की सबसे बाहरी परत मॉलिक्यूलर हाइड्रोजन से बनी हुई है। शनि और बृहस्पति में अंतर सिर्फ इन दोनों परतो की मोटाई का ही है। बृहस्पति में मैटेलिक हाइड्रोजन की परत 46,000 किलोमीटर और मॉलिक्यूलर हाइड्रोजन की परत 12200 किलोमीटर है और अगर शनि ग्रह की बात करें तो उसमें यह परते क्रमशः 14500 किलोमीटर और 18500 किलोमीटर की है।
शनि ग्रह में सौर मंडल के बाकी ग्रहों से ज्यादा रफ्तार में हवा चलती है। इस ग्रह में 1800 किलोमीटर प्रति घंटे तक की रफ्तार से चलने वाली हवा को मापा गया है।
शनि ग्रह के चंद्रमा
शनि ग्रह के पास सौरमंडल के सबसे अधिक चंद्रमा मौजूद हैं। 2019 में शनि ग्रह के 20 नए चंद्रमाओं की खोज हुई थी जिस वजह से शनि ग्रह के चंद्रमाओं का आंकड़ा 82 हो गया है और इसने बृहस्पति को पीछे छोड़ दिया है।
शनि ग्रह का चंद्रमा टाइटन बृहस्पति के चंद्रमा गेनीमेड के बाद सौरमंडल का दूसरा सबसे बड़ा चंद्रमा है। इस चंद्रमा का वातावरण काफी घना है। यह चंद्रमा प्रमुख रुप से नाइट्रोजन, बरफ के पानी और पत्थर से बना है। टाइटन की जमी हुई सतह मे मिथेन की झीले भी मौजूद हैं। इसके अलावा यहां का वातावरण चारों तरफ से जमी हुई नाइट्रोजन से बना है। शोधकर्ताओं द्वारा ऐसा कहा गया है कि टाइटन में जीवन मौजूद हो सकता है लेकिन यह जीवन पृथ्वी के जीवन के समान नहीं होगा।
शनि की ऑर्बिटल दूरी
शनि की औसत ऑर्बिटल दूरी 1.43×109 किलोमीटर है जिसका मतलब यह है कि शनि ग्रह की औसत दूरी पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी का 9.5 गुना अधिक है। सूर्य से इतनी दूर होने की वजह से यहां सूरज की रोशनी एक घंटा 20 मिनट में पहुंचती है। शनि अपनी धुरी में काफी तेज रफ्तार में घूमता है जिस वजह से बृहस्पति के बाद यहां दूसरा सबसे छोटा दिन होता है यह अपना एक दिन मात्र 10.6 घंटों में पूरा कर लेता है लेकिन अगर सूर्य के चक्कर की बात करें तो सूर्य से दूर होने की वजह से यहां 1 वर्ष पृथ्वी के 10,756 दिनों के बराबर होता है यानी लगभग 29.5 पृथ्वी वर्ष।
शनि छल्ले
शनि के छल्ले इस पूरे सौरमंडल में पाए जाने वाले सबसे आकर्षक वस्तुओं में से एक हैं। यह शनि के छल्ले मुख्यतः धूल और बर्फ के अरबों छोटे-छोटे कणों से मिलकर बने होते हैं। जिस वजह से यह छल्ले पृथ्वी से टेलिस्कोप के सहारे देखे जा सकते हैं
शनि के छल्ले बनने के बारे में एक सिद्धांत मशहूर है कि सालों पहले शनि के चारों तरफ मध्यम आकार का एक चंद्रमा चक्कर लगाता था लेकिन शनि ग्रह के काफी समीप आने की वजह से वह ज्वारीय बल की वजह से टूट गया और जिससे शनि के खूबसूरत छल्लो का निर्माण हुआ।
तथ्य | Fact
शनि ग्रह तक अब तक मात्र चार स्पेसक्राफ्ट पहुंच सके हैं जिनका नाम पायोनियर 11, वाइजर1 और 2, कैसिनी ह्यूजन है। कैसिनी ने 1 जुलाई 2004 में शनि ग्रह के कक्षा में प्रवेश किया और उसके बाद से ह शनि ग्रह, उसके छल्ले और चंद्रमाओं के बारे में जानकारी भेजना शुरू कर दिया।
शनि ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र से हल्का सा कम है लेकिन शनि ग्रह का चुंबकीय क्षेत्र जुपिटर के चुंबकीय क्षेत्र का 20 वां हिस्सा है।
शनि का अंदरूनी तापमान काफी गर्म है और यह 11,700 डिग्री सेल्सियस तक गर्म हो जाता है।
शनि पृथ्वी से 1.4885 बिलियन किलोमीटर की दूरी पर है।
शनि ग्रह इतना बड़ा है कि इसके अंदर 750 पृथ्वी आसानी से समा सकती हैं।
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