Tesla Coil कैसे बनाएं ?
आज के इस टॉपिक में हम Tesla Coil को समझेंगे जिसमे हम देखेंगे की Tesla Coil क्या होती है इसको समझेंगे तथा इसके बाद हम इसकी वर्किंग किस प्रकार होती है इसको समझेंगे और फिर हम इसके इतिहास के बारे में जानेंगे की इसकी खोज कैसे हुई आदि तथा इसके बाद हम इसके उपयोग को समझेंगे की इसका उपयोग कहाँ और क्यों किया जाता है तो चलिए समझना Start करते है की Tesla Coil क्या होती है |
Tesla Coil
आगर हम Tesla Coil की बात करें तो यह एक प्रकार ट्रांसफार्मर होती है और एक ऐसा Device होता है जो की बहुत ही High वोल्टेज को Generate करता है अर्थात यह एक ऐसा Device होता है जो High Voltage बनाने के लिए उपयोग किया जाता है यह एक ऐसा Device होता है जो कई Million Volt तक का वोल्टेज Generate कर सकती है और करंट Low होती है लेकिन इसकी जो Frequency होती है वो बहुत ही High होती है |
इस प्रकार हमने देखा की ये High Voltage को Generate करती है पर इतने High वोल्टेज को Handle करना भी बहुत मुश्किल होता है क्योंकि यह High Voltage बहुत ही Dangerous भी होता है लेकिन साथ ही साथ यह Coil बहुत ही हाई Frequency की Electricity ( Alternating Current ) को भी Generate करती है इसका मतलब यह हुआ की यह बहुत ही तेज गति से On एवं Off होती है जिससे की Electricity का Flow Coil के Skin पर बहुत ही तेज गति से होता है |
इस प्रकार यह Coil Charge को Flow करती है जिससे की Current Electricity को Generate करती है और क्योंकि यह बहुत ही High Voltage Generate करती है जिसके कारण इसके एक End को Ground से भी Connect किया जाता है जिससे की Electricity वापस Grounded हो जाए | अब हम इसकी वर्किंग को समझते है |
Tesla Coil की वर्किंग
अगर हम इसकी वर्किंग की बात करें तो इसकी जो वर्किंग होती है वह Resonance की कंडीशन को Achieve करने के Principle पर आधारित होती है और जब किसी भी सर्किट में Resonance की कंडीशन होती है तो उसमे दो Coil होती है एक होती है प्राइमरी Coil और एक होती है सेकेंडरी Coil और इसी प्रकार Tesla Coil में भी दोनों Coil होती है और इन दोनों Coil में एक – एक Capacitor भी लगा होता है |
इस प्रकार ये एक प्रकार का ट्रांसफार्मर बन जाता है जिसे Resonance ट्रांसफार्मर कहा जाता है इसकी प्राइमरी Coil को पॉवर सप्लाई से जोड़ दिया जाता है और इसकी सेकेंडरी Coil को Coupled किया जाता है जिससे यह पता चलता है की इसमें रेजोनेंस हो रहा है और इसमें जो Capacitor लगे होते है Parallel में वो इस ट्रांसफार्मर सर्किट की Turning के लिए Use होते है जो की एक Specific Frequency के Signal को Generate करने के लिए उपयोग होते है |
जब प्राइमरी Coil को पॉवर सप्लाई से जोड़कर पॉवर को On किया जाता है तो यह Capacitor को Charge करती है और जब Capacitor में बहुत ही ज्यादा मात्रा में Charge हो जाता है तो फिर इस Charge के Accumulation से जो इनके बीच का Spark गैप रहता है उसकी Air को Break Down करता है और इसका परिणाम यह होता है की यह जो Capacitor रहता है यह बहुत ही ज्यादा मात्रा में Current को Produce करता है जिससे की High Voltage Generate होता है |
इस प्रकार इस Tesla Coil की वर्किंग होती है और अब हम इसके इतिहास के बारे में जानते है की इसकी खोज कब और किसने की आदि |
Tesla Coil का इतिहास
अगर हम इसके इतिहास की बात करें तो इसकी खोज सबसे पहले वैज्ञानिक Nikola Tesla ने की थी सन 1891 में और उनके नाम के आधार पर ही इसे Tesla Coil कहा जाता है यह उनके जीवन की महत्वपूर्ण Invention में से एक थी जो की बहुत ही High वोल्टेज को Generate करने के लिए उपयोग की जाती है |
यह भी एक प्रकार का ट्रांसफार्मर ही है जो की बहुत ही High वोल्टेज और Low करंट को Generate करता है पर बहुत ही High Frequency के साथ करता है | इस प्रकार यह Coil उपयोग में आता है इसकी खोज के बाद उन्होंने इसमें कई प्रकार के वेरिएशन भी किये और अलग –अलग टाइप के Coil बनाये | इस प्रकार इस Coil की खोज हुई |
अब हम इसके उपयोग को समझते है की इसका उपयोग कहाँ किया जाता है |
Tesla Coil के उपयोग
अगर हम इसके उपयोग की बात करे तो इसका उपयोग कई जगहों पर किया जाता है जैसे की –
1 . इसका उपयोग Aluminium Welding में किया जाता है |
2 . Tesla Coil का उपयोग Wireless Telegraphy में भी किया जाता है |
3 . High Vacuum सिस्टम में और Arc Lighters के रूप में भी इनका उपयोग किया जाता है |
4 . रेडियो ट्रांसमीटर में भी Tesla Coil का उपयोग किया जात्ता है और आजकल जो टेलीविजन के नए मॉडल्स आ रहे है उनमे भी इनका उपयोग होता है |
5 . कार और अन्य वाहनों में भी आजकल इसका उपयोग Spark Plug Ignition के लिए किया जाता है |
इस प्रकार Tesla Coil के बहुत सारे उपयोग होते है |
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