Hardening Process, Heat Treatment की ही एक विधि है। जैसा कि इसके नाम से ही पता चल रहा है Hardening मतलब (To hand a work piece) किसी मैटीरियल को high temperature पर गर्म करके फिर उसे ठण्डा करने की प्रक्रिया को Hardening Process कहते है |
हम अलग words में समझें तो अनीलिंग प्रोसेस के एकदम विपरीत (opposite) क्रिया करके हम material में hardness बढ़ा सकते हैं।
- Hardening process में material को Hard जबकि Annealing process में soft बनाया जाता है।
Hardening क्यों करते है ?
- Material को आवश्यक कार्य के लिये और उसकी उपयोगिता अनुसार उसको कठोर बनाने के लिये।
- Cutting Tools इसी Hardening Process की सहायता से बनाया जाते है।
- Metal की strength बढ़ जाती है।
- Metal/Material में घर्षण रोधी गुण पैदा हो जाता है, अर्थात् हम सीधे शब्दों में कहें अगर किसी Material की Hardening की जा चुकी है। तो उसे आसानी से घिसा नहीं जा सकता है। इसी गुण को घर्षण प्रतिरोघी गुण भी कहा जाता है।
- Hardening Process हमेशा UCT {UPPER CRITICAL TEMPERATURE} पर की जाती है। अर्थात् Recrystallization Temperature 723o C से 40-50o C ऊपर गर्म करने पर एवं फिर metal को हवा, पानी या किसी अन्य तरल की सहायता से जल्दी ठण्डी करने की प्रक्रिया Hardening Process कहलाती है।
- Heat Treatment में केवल Temperature को up and low करने से हमें एक ही material से different-different properties के metal की प्रप्ति हो जाती है।
NOTE :- सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि Hardness सदा steel में carbon की percentage और उसको ठण्डा करने कि दर पर निर्भर करती है।
Quenching क्या है ?
Hardening process में metal को रिक्रस्टलाइजेश के उपर गर्म करके फिर उसे बहुत ही जल्दी पानी, हवा या फिर तेल या किसी अन्य तरह की Help से ठण्डा करने की विधि को Quenching Process कहते हैं।
Or
रैपिड कूलिंग प्रोसेस जो मैटल मैं Hardness बढायें, Quenching क्रिया कहते हैं ।
- Quenching process Mechanical properties Eg. Hardness, Resistance, Ductility बढ़ाने में सहायक हैं।
हालांकि जब हम इस Quenching process को Standard रूप से नहीं कर पाते हैं तो मैटीरियल बहुत तरह के Defect भी मिल जाते हैं।
उदा.:- क्रैक Crack
Tempering क्या है ?
हार्डनिंग की process करते समय हम Material को Quenching method की Help से ठण्डा करते हैं तो मैटिरियल में different defect आ जाते है। जैसे Brittleness, crack आदि ।
इन सभी दोषों को दूर करने की क्रिया Tempering कहलाती है
Tempering process क्यों करते है ? जरूरत
- Metal की Brittleness (भंगुरता) को दूर/समाप्त करने के लिए ।
- Tempering की मदद से Stress को कम किया जा सकता है।
- Strength और Toughness को बढाने में या हम कह सकते हैं कि Mechanical Properties को सुधारने में Tempering process बहुत सहायक हो जाती हैं ।
- Hardening steel को tempering की क्रिया करते समय लगभग 400o C तक गर्म किया जाता है।
- गर्म करने के बाद Hardening steel को हम पानी तेल में डुबोकर ठंडा किया जाता है ।
Note: – टेम्परिंग क्रिया Metal के partial भाग पर या फिर उसकी पूरी सतह पर भी की जाती है ।
अगर हमें टेम्परिंग केवल partial करनी है। तो हम गर्म किये को तेल में उतना ही डुबोएंगे जितने भाग की हमें टेम्परिंग क्रिया करनी है ।
- Tempering किये हुए भाग का रंग बदलना स्वाभाविक है । इससे हमें quality का भी पता लग जाता है । कि हमारे द्वारा Tempering की गई है वो standard है।
Tempering Process के प्रकार
Tempering की क्रिया चार तरह से की जाती है।
- Point tempering
- Hot plate Tempering
- Sand Bath Tempering
- Lead Bath Tempering
Point Tempering
जिस point को Tempering करना है उसे रिक्रस्टलजेश से ऊपर गर्म करके पानी या अन्य तरल से ठण्डा कर लेना है।
Piece को तब तक तरल में रखेगे जब तक उसका लाल रंग खत्म न हो जाये।
Hot plate tempering
यह क्रिया करने के लिए हमें लोहे की मोटी प्लेट को उच्च ताप पर लाल गर्म किया जाता है।
जिस भाग पर tempering करनी है उसे plater के बाहर एवं जिस पर नहीं करनी है । उसे Plate के साथ रखते है और इस तरह Heat transfer होके tempering वाले भाग तक आ जाती है।
जैसे कि पीछे बताया है कि Tempering, colour पर निर्भर करती है। इस प्रकार Hot Plate के माध्यम से Tempering वाले पार्ट पर जब Heat जाती है तो उसका रंग बदला जायेगा। जब Standard Colour हमें मिले हम Piece को उठाकर पानी से ठण्डा कर लेते हैं।
Sand bath Tempering
यह विधि भी Hot Plate Tempering की तरह है।
इसमे गर्म रेत में Temper किये जाने वाले भाग का बाहर करने वाले पार्ट को रेत में डालकर गर्म करते हैं।
जब गर्मी (Heat) Transfer होना शुरू होती है तो Colour आना स्टार्ट हो जायेगा एवं उचित Colour आने पर हम Part को बाहर निकालकर ठण्डा कर लेंगे।
Lead Bath Tempering
इस क्रिया में Tin+Lead(Pb) को पिघलाकर गर्म कर लेंगे।
पिघले हुए Lead में हम Tempering किये जाने वाले भाग को बाहर रखकर बाकी पार्ट को डुबोकर गर्म करेंगे।
Heat Transfer होने से Tempering Point जिस भाग की Tempering करनी है, रंग बदलना शुरू कर देगा।
इस क्रिया के बाद हम पार्ट को आवश्यक विधि द्वारा ठण्डा कर लेते हैं।
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