कूलॉम का नियम सन् 1785 में फ्रांस के एक physicist चार्ल्स ऑगस्टिन कूलॉम ने अपने नाम पर दिया जिसका उपयोग था यानि बिंदु आवेशों के बीच लगने बाला बल का मान जानना इस page पर कूलॉम का नियम की पूरी detail देने की कोशिस की है यदि कोई topic छूट गया हो तो आप comment कर के बता सकते है
कूलॉम का नियम का नियम हिंदी में
चार्ल्स ऑगस्टिन कूलॉम यानि कूलॉम नियम अनुसार परिभाषा- दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला बल दोनों आवेशों के गुणन फल के समानुपाती यानि directly proportional होता है और उन दोनों आवेशों की बीच की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानपाती होता है अब वह बल आकर्षी या प्रतिकर्षि हो सकता है
- कूलॉम ने बताया की यह एक प्रायोगिक नियम है
- और लगने वाला बल केन्द्रीय और संरक्षी बल है
- बल newton के गति के तीसरे नियम का पालन करता है
कूलॉम का नियम की सूत्र
मान लो दो बिंदु आवेश q1 और q2 है और इन दोनों आवेशों के बीच की दूरी r है तब दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला बल∝पहला आवेश ×दूसरा आवेश F∝q1×q2 F∝1/r2 तब इन दोनों को मिला कर कूलॉम के नियम का सूत्र बनता है F∝q1×q2/r² F=k×q1×q2/r² जहाँ k एक constant है जिसका मान 1/4πε0 होता है
डिटेल में समझिये
F ∝ q1 q2 / r2
अगर यहाँ से समानुपाती का चिन्ह हटाया जाए तो इसके स्थान पर एक समानुपाती नियतांक लगाया जाता हैं जिसे K कहा जाता है अर्थात अब बल का मान इस प्रकार हो जाएगा –
F = K q1 q2 / r2
तथा इस बल F का मात्रक न्यूटन होगा
समानुपाती नियतांक K का मान दोनों आवेशों के बीच उपस्थित माध्यम की प्रकृति पर निर्भर करता है इसलिए अलग – अलग माध्यम उपस्थित होने की स्थति में K का मान अलग –अलग होगा लेकिन यदि हम सबसे पहले यहाँ माने की दोनों बिंन्दु आवेशों के बीच माध्यम के रूप में निर्वात ( वायु ) हैं तो इस स्थति में इसका मान इस प्रकार होगा –
K = 1 / ( 4 πɛ˳) होता है तथा इसका मान
k = 9 × 10 ⁹ होता है तथा इसका मात्रक न्यूटन मीटर 2 / कुलाम 2 होता है |
जहाँ ɛ˳ को माध्यम ( वायु ) की विद्युत शीलता कहा जाता हैं
अर्थात इस स्थति में जब दोनों बिंदु आवेशों के बीच निर्वात माध्यम हैं तो इनके बिच लगने वाले आकर्षण या प्रतिकर्षण बल का मान इस प्रकार होगा –
F = q1 q2 / ( 4 πɛ˳ r2 )
अब यदि हम माने की दोनों आवेशो के बीच निर्वात के अलावा कुछ अन्य माध्यम उपस्थित है तब इस स्थति में K का मान इस प्रकार होगा –
K = 1 / ( 4 πɛ)
तथा इस स्थति में जब दोनों बिंदु आवेशों के बीच अन्य माध्यम हैं तो इनके बीच लगने वाले आकर्षण या प्रतिकर्षण बल का मान इस प्रकार होगा –
F = q1 q2 / ( 4 πɛ r2 )
जहाँ ɛ को माध्यम की विद्युत शीलता कहा जाता हैं |
कूलॉम के नियम की सीमाएँ
- कूलॉम का नियम point charge के लिए है
- static electricity में स्थिर आवेशों के लिए कूलॉम का नियम है
- कूलॉम का नियम के लिए आवेशों के बीच की दूरी 10-15 m से ज्यादा होनी चाहिए
- Electromagnetic Waves in Hindi
कूलाम का नियम का महत्व
भौतिक विज्ञान की दुनिया में कूलाम का नियम का बहुत महत्त्व होता है क्योंकि इसकी सहायता से –
1 . किसी परमाणु के नाभिक और उसके चारों और घुमने वाले इलेक्ट्रान के बिच लगने वाले बल की कूलाम का नियम की सहायता से व्याख्या की जा सकती है |
2 . परमाणुओं के बिच बंधन बलों की व्याख्या भी इस नियम की सहायता से की जा सकती है |
आदि इसके महत्त्व होते है था अब हम इसके उपयोग को समझेंगे |
कूलाम का नियम के उपयोग
अगर हम कूलाम के नियम के उपयोग की बात करे तो इसके कुछ महत्वपूर्ण उपयोग इस प्रकार होते हैं –
1 . इसका उपयोग करके किन्ही दो बिंदु आवेशो के बीच लगने वाले आकर्षण या प्रतिकर्षण बल का मान तथा उनके बीच की दूरी का मान ज्ञात किया जा सकता है |
2 . इसका उपयोग करके इलेक्ट्रिक फील्ड की गणना भी की जा सकती है |
3 . इस नियम का उपयोग Superposition Theorem के लिए भी किया जाता है जिसमे किसी एक स्थान पर उपस्थित बिंदु आवेश पर अन्य बहुत सारे आवेशो के कारण लगने वाले बल की गणना की जा सकती है |
कूलॉम का नियम और सीमाएं यह आपके समझ में आ गया होगा इस पेज को शेयर जरूर करें नीचे button है और कोई भी Question हो तो आप comment कर सकते है या आपको कोई और topic किसी भी स्तर से समझना हो तो आप comment में लिख सकते है
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