विद्युत ऊर्जा
किसी चालक की विद्युत ऊर्जा वह ऊर्जा होती है जो किसी चालक मे विद्युत आवेश के प्रवाहित होने मे व्यय होती है ,विद्युत उर्जा कहलाती है।
यदि किसी चालक के सिरों के बीच उत्पन्न विभवान्तर v है तब चालक के एक सिरे से दूसरे सिरे तक q आवेश को लाने मे किया गया कार्य
W=v × q जूल होगा ।अर्थात् v ×q जूल ऊर्जा व्यय होगी ।
अत:किया गया कार्य/व्यय की गई ऊर्जा ,
W= v × q जूल
W= v × I × t जूल (चुंंकि q = I ×t )
W= जूल (v = I × r )
W = जूल ( I = v/r )
विद्युत शक्ति
किसी विद्युत परिपथ मे विद्युत ऊर्जा के खर्च होने की दर विद्युत शक्ति कहलाती है ।
विद्युत शक्ति या सामर्थ्य =ऊर्जा /समय = जूल /सेकण्ड
किसी परिपथ मे 1 जूल/सेकण्ड की दर से व्यय होने वाली विद्युत ऊर्जा को 1 वाट कहते है
वाट
विद्युत शक्ति का मात्रक
विद्युत ऊर्जा शक्ति का एस आई मात्रक वाट होता है
व्यवहारिक मात्रक किलोवाट,मेगावाट,अश्वशक्ति हेाती है
1 अश्वशक्ति =746 वाट
विद्युत उर्जा का मापन
घरों तथा उद्याेेेगों मे व्यय होने वाली विद्युत ऊर्जा की माप किलाेेवाट घंटा मे निकाली जाती है जिसे बोर्ड ऑफ ट्रेड यूनिट (BTU) कहते है इसे ही बोलचाल की भाषा में यूनिट कहा जाता है
1 किलोवाट घण्टा अथवा 1 यूनिट विद्युत ऊर्जा की वह मात्रा है जो कि किसी विद्युत परिपथ मे 1 घण्टे मे व्यय होती है, जबकि परिपथ में 1 किलोवाट की विद्युत शक्ति हो।
1 किलोवाट x 1 घण्टा
1000 वाट x 3600 सेकण्ड
3.6 x 10^6 वाट सेकंड या जूल
1 किलोवाट घण्टा मे यूनिटो की संख्या
=वोल्ट× ऐम्पीयर×घण्टा /1000
=वाट × घण्टा /1000
विद्युत धारा का ऊष्मीय प्रभाव
किसी चालक तार मे विद्युत धारा के प्रवाहित होने पर चालक तार के ताप मे होने वाली व्रद्धि को विद्युत धारा के उष्मीय प्रभाव के रूप मे जाना जाता है
तार मे उत्पन्न उष्मा का मान
विद्युत उष्मा(H )=VIT/4.2 कैलोरी = VIT जूल
H= कैलोरी =जूल = कैलोरी = जूल
जूल का नियम
जूल के उष्मा नियम के अनुसार
1 यदि प्रतिरोध नियत है तब
H∝
2 यदि धारा का मान नियत है
H ∝ R
3 यदि प्रतिरोध और धारा दोनो नियत है
H ∝ T
तब
H = RT
यहॉं,
चालक मे प्रवाहित धारा=i
समय=t
चालक का प्रतिरोध=R
इसे ही जूल का उष्मा का नियम कहलाता है
विद्युत धारा का सीबेक प्रभाव
इसमे दो अलग अलग धातुओ के चालक तारो को जोडकर उनकी अलग अलग दो संधिया या सिरे बना लिये जाते है फिर उन्हे ठण्डा या गर्म करते है।सीबेक प्रभाव के अनुसार
यदि किसी चालक के एक सिरे को गर्म करे तथा दूसरे सिरे को ठण्डा करे तो चालक मे तापान्तर के कारण विद्युत ऊर्जा प्रवाहित होने लगती है इसे ही सीबेक प्रभाव कहा जाता है।
तथा जिस विद्युत बाहक बल के कारण यह धारा प्रवाहित होती है उसे उष्मीय विद्युत वाहक बल कहते है।इसमे उष्मीय ऊर्जा का रूपांतरण विद्युत ऊर्जा मे होता है।
विद्युतधारा का पेल्टीयर प्रभाव
यह सीबेक प्रभाव का व्युत्क्रम होता है जिसमे चालक तारो की संधियो के मध्य विद्युत धारा प्रवाहित कराई जाती है तो संधियो पर यातो उष्मा का अवशोषण होता है या फिर उत्पादन होता है।धारा की दिशा पलटने पर गरम हो रही संधि ठंडी व ठंडी हो रही संधि गरम होने लगती है
इसे ही पेल्टीयर प्रभाव कहा जाता है।
विद्युत ऊर्जा का थामसन प्रभाव
विद्युत ऊर्जा के थामसन प्रभाव के अनुसार जब किसी चालक तार के दोनो सिरो का तापमान समान रखकर उसमें विद्युत ऊर्जा प्रवाहित कराई जाती है तथा तार के मध्यभाग को गर्म किया जाता है तो तार का एक सिरा ठंडा और दूसरा सिरा गर्म हो जाता है इसे ही धारा का थामसन प्रभाव कहते है ।
विद्युत धारा का प्रकाशीय प्रभाव
जब किसी चालक तार मे विद्युत धारा प्रवाहित की जाती है तो तार मे उष्मा के उत्पादन के साथ साथ प्रकाश का उत्पादन भी करने लगता है इसे ही विद्युत धारा का प्रकाशीय प्रभाव कहते है।
विद्युत धारा के उष्मीय व प्रकाशीय प्रभाव पर आधारित कुछ महत्वपूर्ण उपकरण
1 विद्युत बल्ब
विद्युत बल्ब का आविष्कार थॅामस अल्बा एडीसन ने किया था । इसमे कॉच के एक खेाखले गोले के अन्दर टंगस्टन धातु का एक तंतु लगाया जाता है जो कि धारा प्रवाहित करने पर अतितप्त 1500°C -2500°C तक हेा जाता है।जिससे वह प्रकाश उत्सर्जित करने लगता है । बल्ब के अन्दर निर्वात स्थिति उत्पन्न कर आर्गन गैस या नाइट्रोजन गैस भर दी जाती है जिससे उच्च ताप पर धातु के फिलामेंट को वाष्पीकरण होने से बचाया जा सके ।साधारण बल्ब विद्युत उर्जा का लगभग 10प्रतिशत भाग ही प्रकाश ऊर्जा मे परिवर्तित कर पाता है। जबकि सीएफएल 40-50 प्रतिशत तथा एलईडी विद्युत लैम्प 80-90 प्रतिशत तक विद्युत ऊर्जा को प्रकाश ऊर्जा मे परिवर्तित कर पाता है।
विद्युत उष्मक
विद्युत उष्मक मे नाइक्रोम के एक सर्पिलाकार तार को चीनी मिटृी की प्लेट पर बने खाचें के अन्दर बिछा दिया जाता है ।विद्युत ऊर्जा प्रवाहित करने पर यह अत्याधिक उष्मा का उत्पादन करता है।
नाइक्रोम निकिल और क्रोमियम की मिश्रधातु होती है जिसका गलनांक व विशिष्ट प्रतिरोध बहुत उच्च होता है जिससे यह बिना पिघले बहुत उच्च ताप प्राप्त कर सके नाइक्रोम के तार का विशिष्ट प्रतिरोध तॅाबे के तार के विशिष्ट प्रतिरोध से लगभग 6 गुना होता है
विद्युत प्रेस
विद्युत प्रेस एक ऐसा उपकरण होता है जिसमे नाइक्रोम का एक तापक तार को अभ्रक की पतली चादर पर सपाट रूप से लपेट दिया जाता है ।तापक तार को एस्बेस्टस की मोटी चादर से ढक दिया जाता है । प्रेस की बाहरी सतह पालिसदार होती है जिससे विकरण के द्वारा उष्मा की हानि न्यूनतम होती है।
विद्युत फ्यूज
विद्युत फ्यूज का प्रयोग घरों मे सोर्टसर्किट से बचने के लिये किया जाता है फ्यूज तार टिन व सीसे की मिश्रधातु सोल्डर का बनाया जाता है इस तार का गलनांक बहुत कम होता है इसे विद्युत परिपथ मे संयोजक तार के श्रेणी क्रम मे लगाया जाता है जब परिपथ मे धारा के मान मे अचानक व्रद्धि होती है तो यह तार टूट जाता है तथा विद्युत परिपथ को तोड देता है जिससे धारा का प्रवाह रूक जाता है और घरेलू उपकरणेां को क्षति से बचाया जा सकता है। फ्यूज फुल डिटेल – फ्यूज क्या है ? काम कैसे करता है ? और प्रकार
प्रतिदीप्ति प्रकाश नलिका
(Fluorescent tube light ) टयूब लाइट कॉंच की एक बेलनाकार 120 सेमी लम्बी नली होती है जिसके अन्दर प्रतिदीप्ति पदार्थ का लेप होता है जिससे श्वेत प्रकाश प्राप्त होता है
विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव
शुद्ध जल विद्युत का कुचालक होता है लेकिन अशुद्धिया मिलाने पर यह विद्युत का प्रवाह करने लगता है अत:ऐसे विलयन या घोल जिनके अन्दर से विद्युत ऊर्जा प्रवाहित हो सकती है विद्युूत अपघटय कहलाते है तथा वह अपने धनायन और ऋणायनों मे अपघटित हो जाते है जिसे विद्युत अपघटन की क्रिया कहते है तथा इस सम्पूर्ण घटनाक्रम को विद्युत धारा का रासायनिक प्रभाव कहा जाता है जिस पात्र मे विद्युत अपघटन की क्रिया होती है उस पात्र को वोल्टामीटर कहा जाता है।
विद्युत अपघटन के उपयेाग
1 विद्युत धारा के रासायनिक प्रभाव का उपयोग करके धातुओं को शुद्ध करने मे किया जाता है
2 योगिेको का विश्लेषण करने मे भी विद्युत अपघटन प्रकिया का प्रयोग किया जाता है
3 विद्युत अपघटन की क्रिया के द्वारा धातुओं पर विद्युत लेपन किया जाता है
4 विद्युत सेलो के निर्माण मे भी विद्युत अपघटन की क्रिया का प्रयोग किया जाता है ।
5 उच्च गुणवत्ता वाली मुद्रण करने मे भी विद्युत अपघटन की क्रिया का प्रयोग किया जाता है।
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