डायोड एक ऐसा Electronic Component है जो Current को सिर्फ एक Direction में Flow होने की अनुमति देता है इसके दो Terminal होते है
डायोड में जो Silver Color की line है उस तरफ का terminal Cathode है और डायोड के symbol में जो ट्रायंगल की नोक है उस तरफ कैथोड है और दूसरी तरफ एनोड है कैथोड और एनोड डायोड में एक Direction में Current बहने पर Zero Resistance होता है और दूसरी दिशा में बहुत high resistance होता है जिससे Current Flow शून्य हो जाता है डायोड की संरचना-
डायोड Semiconductor से बने होते है यानि वर्तमान में use होने वाले डायोड Semiconductor डायोड है इसका Symbol आप image में देख सकते है
Semiconductor डायोड P Types Semiconductor और N Types Semiconductor से बने होते है इन्हें P-N Junction डायोड कहते है P Types Semiconductor और N Types Semiconductor को डोपिंग द्वारा जोड़ा जाता है P-N junction की full detail हम बाद में share करेंगे
डायोड भले ही दिखने में छोटा होता हो लेकिन यह कई बड़े कार्य करने में सहायक होता है। डायोड को हम रेक्टिफायर्स, सिग्नल मोडुलेटर, वोल्टेज रेगुलेटर, सिग्नल लिमिटर्स आदि के रूप में इस्तेमाल करते हैं। जब कभी भी डायोड का कैथोड टर्मिनल को नेगेटिव वोल्टेज से जोड़ता है और एनोड को पॉजिटिव वोल्टेज से जोड़ता हैं तो उस समय करंट प्रवाहित होने लगता है और इस विधि को फॉरवर्ड बायसिंग कहते हैं।
डायोड क्या है ?
डायोड एक ऐसा इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट होता है जोकि करंट को केवल एक दिशा में जाने की अनुमति देता है। इसके एक छोर में हाई रेजिस्टेंस होता है तो दूसरे छोर में लो रजिस्टेंस होता है। सिलिकॉन और जर्मेनियम जैसे सेमीकंडक्टरो का इस्तेमाल डायोड बनाने में किया जाता है।
जेनर डायोड के उपयोग
जेनर डायोड का इस्तेमाल वोल्टेज रेगुलेटर के तौर पर किया जाता है।
जेनर डायोड का अविष्कार
जेनर डायोड का अविष्कार Clarence Zener ने 1934 में किया था।
डायोड का इतिहास
डायोड को सर्वप्रथम 1900 की शुरुआत में खोजा गया था। उस समय वायरलेस तकनीक अपने शुरुआती दौर में थी। Cat’s Whisker Diode इस्तेमाल किए जाने वाले सबसे पहले डायोड में से एक था। इसमें तार के एक बहुत पतले टुकड़े का इस्तेमाल होता था जिसे सेमीकंडक्टर जैसे मटेरियल में रखकर एक Point Contact Diode के रूप में इस्तेमाल में लिया जाता था। इसको 1920 के दशक तक काफी इस्तेमाल में लिया गया था।
द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान रडार सेट में लगाने के लिए नए डायोड्स की आवश्यकता थी। सेमीकंडक्टर डायोड का आकार में छोटा होने की वजह से इसे एक बेहतरीन विकल्प के रूप में देखा गया। इसके अलावा रडार में इस्तेमाल होने वाली फ्रीक्वेंसी को भी ये काफी बढ़िया तरीके से चलाने में सक्षम था।
डायोड का कार्य सिद्धांत
Semiconductor डायोड कैसे काम करता है इसकी Working Process दो step में है पहली Forward Bias यानि अग्र अभिनति और दूसरी Reverse Bias या पशच अभिनति
Forward Bias या अग्र अभिनति
Forward Bias यानि अग्र अभिनति में Battery के धन सिरे को डायोड के एनोड या P सिरे से जोड़ा जाता है और battery के ऋण सिरे को कैथोड से जोड़ा जाता है तब Current Flow होने लगता है
Reverse Bias या पशच अभिनति
इसमें Battery के धन सिरे को डायोड के कैथोड या N से जोड़ा जाता है और ऋण सिरे को डायोड के एनोड या P सिरे से जोड़ा जाता है तब इसे Reverse Bias या पशच अभिनति कहते है इसमें धारा नहीं बहती है
डायोड के प्रकार
Normal डायोड जो लगभग हर circuit में होता है और Zener डायोड का use Over voltage Protection के लिए होता है डायोड के important प्रकार और उनकी detail हम आगे पड़ेंगे
डायोड –
- Normal Diode
- Zener diode
- P-N junction diode
- Light emitting diode
- Tunnel diode
- Varactor diode
- Avalanche diode
- Laser diode
- Varractor diode
- Schottky diode
- PIN diode
- Photo diode
जेनर डायोड | Zener Diode
जेनर डायोड का अविष्कार Clarence Zener ने 1934 में किया था। यह डायोड एक सामान्य डायोड की तरह बिजली को आगे की दिशा में प्रवाहित करने का काम करता है लेकिन जब कभी वोल्टेज ब्रेकडाउन वोल्टेज से ज्यादा हो जाए तो यह उस समय उसे उल्टी दिशा में बहने का निर्देश देता है। इसके अविष्कार का उद्देश्य केवल एकदम से आ जाने वाली वोल्टेज से बचने के लिए किया गया था। जेनर डायोड वोल्टेज रेगुलेटर के तौर पर भी काम करता है।
Light Emitting Diode – LED
यह डायोड इलेक्ट्रिक एनर्जी को लाइट एनर्जी में परिवर्तित करने का काम करता है। इसका आविष्कार 1968 में हुआ था। यह डायोड electroluminescence विधि के तहत इलेक्ट्रॉन्स और होल्स को ऊर्जा बनाने के लिए फॉरवार्ड बायस में प्रकाश के सहारे फिर से जोड़ने का काम करता है। यह काफी मात्रा में बिजली बचाता है जिस वजह से लोग इसे घरों में इस्तेमाल करना पसंद करते हैं।
Shockley Diode
इस डायोड को 1950 में William Shockley ने बनाया था। इस डायोड में 4 लेयर होती है जोकि सेमीकंडक्टर मैटेरियल से बनी होती है। इसको PNPN डायोड भी कहा जाता है। यह डायोड बिना गेट टर्मिनल के किसी थियोरिस्टर के समान होता है। जिसका मतलब है की गेट टर्मिनल को पूरी तरह से काट दिया जाता है। जिस कारण उसके पास कोई ट्रिगर इनपुट्स नहीं होते हैं और उसको वोल्टेज को आगे भेजने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है। इस डायोड में दो ऑपरेटिंग स्टेट्स होती हैं जिसे कंडक्टिंग और नॉनकंडक्टिंग कहा जाता है। non-conducting स्टेट में डायोड को काफी कम वोल्टेज में चलाया जाता है
इस डायोड का नाम Walter H Schottky के नाम पर रखा गया है। Schottky Diode मे सेमीकंडक्टर मैटेरियल और धातु का इस्तेमाल होता है जिस वजह से इसमें वोल्टेज काफी कम ड्रॉप होती है। इस डायोड में धातु के मिले होने की वजह से करंट काफी मात्रा में प्रवाहित होता है
टनल डायोड | Tunnel Diode
टनल डायोड को Esaki Diode भी कहा जाता है क्योंकि 1927 में इसका आविष्कार जापानी नोबेल अवार्ड विजेता Leo Esaki ने किया था। इस डायोड का इस्तेमाल बहुत तेजी से स्विच करने के उपयोग में किया जाता है। जब कभी भी किसी कार्य को नैनो सेकंड में करवाना होता है तब टनल डायोड को इस्तेमाल में लिया जाता है।
लेज़र डायोड | Laser Diode
लेज़र डायोड इंजेक्शन लेजर डायोड के नाम से भी काफी प्रचलित है यह डायोड Light Emitting Diode की तरह काम करता है लेकिन उसमें इस्तेमाल होने वाली लाइट के बजाय यह एक लेजर बीम बनाता है।लेज़र डायोड का इस्तेमाल इन दिनों बारकोड रीडर, लेजर प्वाइंटर्स और फाइबर ऑप्टिक के अलावा भी कई अन्य कार्यों में किया जाता है।
Varactor Diode
इस डायोड को Varicap Diode भी कहा जाता है। इस डायोड का इस्तेमाल वेरिएबल कैपेसिटर की तरह किया जाता है। इस डायोड का इस्तेमाल चार्ज को जमा करने के लिए किया जाता है तथा यह हमेशा ही रिवर्स बॉयस्ड होता है। Varactor Diode हमेशा ही वोल्टेज पर निर्भर रहने वाला सेमीकंडक्टर उपकरण है।
Constant Current Diode
Constant Current Diode को कई नामों से जाना जाता है जिनमें से Current Regulating Diode,Current Limiting Diode, Diode Connected Transistor प्रमुख है। इस डायोड का काम वोल्टेज को एक निश्चित करंट पर रेगुलेट करने का होता है
Vaccum Diode
इस डायोड में दो इलेक्ट्रोड लगे होते हैं जिनको कैथोड और एनोड कहा जाता है। यह डायोड टंगस्टन का बना होता है जिस वजह से वह इलेक्ट्रॉन को छोड़ता है और वह इलेक्ट्रॉन एनोड की तरफ जाता है जिस वजह से यह एक स्विच की तरह काम करता है। अगर कैथोड में मेटल ऑक्साइड की परत लग जाए तो इलेक्ट्रॉन को छोड़ने की उसकी काबिलियत ज्यादा हो जाती है।
स्टेप रिकवरी डायोड
स्टेप रिकवरी डायोड को स्नेप ऑफ डायोड और चार्ज स्टोरेज डायोड भी कहा जाता है। यह एक विशेष प्रकार का डायोड होता है जोकि पॉजिटिव पल्स के चार्ज को जमा करने का काम करता है और उसे साइनोसोइडल सिग्नल की नेगेटिव पल्स में उपयोग करता है।
गोल्ड डोप्ड डायोड्स
डायोड में सोने का इस्तेमाल डोपेंट के रूप में किया जाता है। यह डायोड बाकी डायोड्स के मुकाबले ज्यादा तेज होते हैं। डायोड में रिवर्स बॉयस की दशा में लीकेज करंट हमेशा ही कम होता है। हाई वोल्टेज होने के बावजूद यह डायोड को सिगनल फ्रिकवेंसी में कार्य करने की अनुमति देता है।
सुपर बैरियर डायोड
सुपर बैरियर डायोड को उचित पूजा तेजी से स्विचिंग करने और कम नुकसान होने वाली एप्लीकेशंस के लिए बनाया गया था। सुपर बेरिया डायोड को अगली पीढ़ी के रेक्टिफायर के तौर पर जाना जाता है और यह स्कोटी डायोड से भी कम मात्रा में वोल्टेज को आगे भेजता है।
पेल्टियर डायोड
पेल्टियर डायोड सेमीकंडक्टर के दो मटेरियल जंक्शन में गर्मी उत्पन्न करता है और यह गर्मी एक टर्मिनल से दूसरे टर्मिनल में जाती है और यह प्रवाह केवल एक दिशा में है होता है।
क्रिस्टल डायोड
क्रिस्टल डायोड को कैट विस्कर भी कहा जाता है जो कि एक प्रकार का पॉइंट कांटेक्ट डायोड होता है। इसका संचालन सेमीकंडक्टर क्रिस्टल और पॉइंट के बीच में लगे दबाव पर निर्भर करता है। इसमें एक धातु का तार होता है जोकि सेमीकंडक्टर क्रिस्टल के खिलाफ लगाया जाता है जिस वजह से सेमीकंडक्टर क्रिस्टल कैथोड की तरह काम करने लगता है और धातु की तार एनोड की तरह।
वैक्यूम डायोड
वैक्यूम डायोड दो इलेक्ट्रोड से बना होता है जोकि कैथोड और एनोड की तरह कार्य करते हैं। कैथोड टंगस्टन से बना होता है जो कि इलेक्ट्रॉन को एनोड की दिशा में भेजने का काम करता है। इलेक्ट्रॉन हमेशा ही कैथोड से एनोड की दिशा में जाते हैं जिस वजह से यह एक स्वीच की तरह काम करता है। अगर कैथोड में मेटल ऑक्साइड की परत लग जाए तो इलेक्ट्रॉन को छोड़ने की उसकी काबिलियत ज्यादा हो जाती है।
डायोड के उपयोग
- डायोड का उपयोग Alternating Current को Direct Current में change किया जाता है
- Over Voltage Protection के लिए डायोड का उपयोग किया जाता है
- Radio demodulation में डायोड का उपयोग होता है
- तापमान मापने में डायोड का उपयोग होता है
- Circuit में Current को मोड़ने में डायोड का उपयोग होता है Current Steering की तरह
- Signal limiters में,Oscillator में डायोड का use होता है
- Voltage Regulator,Signal mixer में डायोड का use होता है
- डायोड का मुख्य काम अल्टरनेटिंग करंट को डायरेक्ट करंट में परिवर्तित करने का होता है और यह कार्य क्षमता उन्हें रेक्टिफायर बना देती है। इनका इस्तेमाल घरों में लगने वाले इलेक्ट्रिकल स्विचस के तौर पर किया जाता है क्योंकि यह बढ़ी हुई वोल्टेज को भी आसानी से रोक लेते हैं।
- डायोड्स को डिजिटल लॉजिक गेट्स की तरह इस्तेमाल में लिया जाता है। करोड़ों डायोड्स लॉजिक गेट्स की तरह ही काम करते हैं और इनका इस्तेमाल आजकल के आधुनिक प्रोसेसर में किया जाता है।
- Light Emitting Diodes का इस्तेमाल सेंसर के तौर पर किया जाता है। इसके अलावा इसे अन्य लेजर उपकरणों मे भी उपयोग में लिया जाता है।
- Zener Diodes का इस्तेमाल वोल्टेज रेगुलेटर के तौर पर किया जाता है।
- इसका इस्तेमाल पावर सप्लाई को बनाने में किया जाता है साथ ही साथ इसे वोल्टेज डबलर के रूप में भी इस्तेमाल में लिया जाता है।
डायोड क्या है यह कैसे काम करता है इसकी working क्या है और डायोड के प्रकार तथा इसके उपयोग इसकी जानकारी आपको मिल गई है डायोड के Types की full detail आपको मिल जाएगी comment में बताये आपको चाहिए हो तो और इस page को share करें अपने friends के साथ नीचे buttons है
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