PNP transistor :
पीएनपी ट्रांजिस्टर दो तरह की सेमीकंडक्टर डिवाइस से मिल कर बना है, वो दो तरह के सेमीकंडक्टर कुछ इस तरह से है, P व N ट्रांजिस्टर। ट्रांजिस्टर दो शब्दो से मिल कर बना है Trans + register जिसमे Trans का अर्थ परिवर्तन होता है और registor का मतलब रोकना या प्रतिरोधक कहा जाता है|
ट्रांजिस्टर को 1948 मे बनाया गया था ट्रांजिस्टर को 3 वैज्ञानिको ने बनाया था William Shockely, John Bardeen और Walter Brattain.
ट्रांजिस्टर क्या है ? उपयोग और इसकी
पीएनपी ट्रांजिस्टर मे सेमीकंडक्टर (अर्धचालक) की एक पतली सी परत होती है, जो दो P-type सेमीकंडक्टर के छोटे – छोटे क्रिस्टल के बीच दबा कर रखा जाता है। इसकी पतली सी layer को N-type की layer के बीच रखा जाता है। पीएनपी ट्रांजिस्टर मे 3 टर्मिनल हैंड्स होते हैं,पहला C- collector (संगराहक),दूसरा E- emitter(उत्सर्जक) और तीसरा B- base( आधार) कहा जाता है| पीएनपी ट्रांजिस्टर मे E- emitter (उत्सर्जक) का Arrow -> अंदर की तरफ होता हैं|
PNP Transistor का चित्र :
PNP Transistor के उपयोग :
पीएनपी ट्रांजिस्टर का उपयोग इलेक्ट्रॉनिक सर्किट मे किया जाता है|
•पीएनपी ट्रांजिस्टर का काम किसी भी कमजोर सिग्नल को मजबूत(amplify) करने के लिए होता है|
•ट्रांजिस्टर की मदद से डीसी करंट को एसी करेंट मे बदल सकता है|
•ट्रांजिस्टर का काम बिलकुल सही वोल्टेज लेने मे किया जाता है (accurate) वोल्टेज लेने मे किया जाता है। जैसे: किसी सर्किट मे 15 वोल्ट करंट आ रहा है, ट्रांजिस्टर को सर्किट मे लागने से अगर 12 वोल्ट चाहिये तो ट्रांजिस्टर 15 वोल्ट की जगह 12वोल्ट सटीक देगा|
•ट्रांजिस्टर की मदद से हम स्विचिंग कर सकते हैं यानी सर्किट को बंद( OFF) और चालू(ON) कर सकते हैं|
•ट्रांजिस्टर रेडियो के सिग्नल को ऑडियो और ऑडियो के सिग्नल को रेडियो सिग्नल मे बादल देता है। ट्रांजिस्टर की वजह से हमें रेडियो के सिग्नल ऑडियो मे सुनाई हैं|
PNP Transistor की कार्यविधि :
पीएनपी ट्रांजिस्टर कि working मे P-type और N-type semiconductor होते हैं जिसमे पहला emitter दूसरा base और तीसरा collector होता है| Emitter highly dopped semiconductor होता है। Highly dopped का मतलब का free charges ज्यादा होना और वो charges holes या electrons भी हो सकते हैं| लेकिन emitter में holes होते है| जो की highly dopped होते है,emitter का size moderate(कम होगा) base की layer पतली होगी और lightly(हल्की) dopped होगी और collector मे free charges कम होते है पर size large (बड़ा) होता है| जब P-N-P को एक दुसरे से जोडते हे तो पर depletion layer (रोक लगाने की परत) बन जाएगी| और दुसरी तरफ collector base junction पर भी depletion layer बन जाएगी|
PNP Transistor कार्यविधि का चित्र :
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