इस पेज पर हम समझेंगे कि 2-स्ट्रोक Petrol इंजन क्या है ? कैसे काम करता है। उसकी परिभाषा ?
और Internal Combustion इंजन और External Combustion इंजन में कौन – कौन से Fuels का उपयोग किया जाता है।
जैसे , air – fuel का मिश्रण , और Steam इंजन में कोल को Working fluid की तरह उपयोग किया जाता है , साथ ही साथ Stirling इंजन में Gases को Working fluid की तरह उपयोग में लाया जाता है, जैसे air , हाइड्रोजन , हीलियम आदि।
2-स्ट्रोक Petrol इंजन में , पेट्रोल को Working fluid की तरह उपयोग किया जाता है Automobiles में।
2- स्ट्रोक इंजन के कितने भाग होते हैं जैसे – इंजन सिलेंडर , पिस्टन, पिस्टन रिंगस , पोर्ट , क्रैंक कैस , क्रैंक शाफ्ट आदि।
फिर हम समझेंगे कि 2-स्ट्रोक पेट्रोल इंजन कैसे काम करता है उसकी Working प्रक्रिया क्या है।
T . D . C और B . D . C क्या होते हैं और पोर्ट कैसे काम करते हैं?
इंजन क्या है?
इसमें हम इंजन से संबंधित सभी जानकारी को प्राप्त करेंगे और इंजन के बारे में विस्तार से समझेंगे कि इंजन क्या है ?
कोई भी डिवाइस , जो fuel की Heat Energy और केमिकल एनर्जी को Mechanical Energy में कन्वर्ट कर सकती हो, ऐसी डिवाइस को हम इंजन कहते हैं। और साथ ही साथ इस डिवाइस को हम heat इंजन भी कहते है, क्योंकि इसमें हम fuel कि heat Energy का उपयोग करते हैं , और उस Heat Energy को फिर Mechanical Energy में बदला जाता है इंजन डिवाइस कि मदद से।
2 स्ट्रोक इंजन के भाग
2-स्ट्रोक इंजन के सभी भाग इस प्रकार है जैसे –
- स्पार्क प्लग
- इंजन सिलेंडर।
- तीन पोर्ट्स , पहली – एग्जॉस्ट पोर्ट , दूसरी – इनलेट पोर्ट और तीसरी ट्रांसफर पोर्ट है।
- पिस्टन।
- कनेक्टिंग रॉड।
- क्रैंक।
- क्रैंक कैस।
- कम्प्रेसन रिंगस।
- क्रैंक शाफ़्ट।
- डिफ्लेक्टर।
” 2- स्ट्रोक इंजन की वर्किंग और उसके सभी भाग ”
इसमें हम सबसे पहले 2-स्ट्रोक इंजन के कितने भाग होते उनको विस्तार में समझेंगे – सभी भाग इस प्रकार है जैसे,
इसमें सबसे ऊपर स्पार्क प्लग लगा रहता है जो स्पार्क को उत्पन्न करने का काम करता है और fuel को बर्न करता है । इसके बाद सिलेंडर होता है , जिसके भीतर पिस्टन मूव करता है । और इसमें पोर्ट भी लगे रहते हैं जैसे एग्जॉस्ट पोर्ट , इनलेट पोर्ट और ट्रांसफर पोर्ट , ट्रांसफर पोर्ट fuel को ट्रांसफर करने का काम करता है क्रैंक कैस से ऊपर इंजन सिलेंडर में। इसके बाद पिस्टन लगा रहता है जो सिलेंडर के भीतर ऊपर – नीचे मूव करता है मतलब पिस्टन सिलिंडर में रेसिप्रोकटिंग मोशन करता है।
फिर उसके बाद कनेक्टिंग रॉड लगी रहती है जो पिस्टन को क्रैंक के साथ कनेक्ट करती है। इसमें क्रैंक का काम मोशन बदलने मे किया जाता है। क्रैंक पिस्टन के रेसिप्रोकटिंग मोशन को रोटरी मोशन में कन्वर्ट करती है।
और फिर इसके बाद क्रैंक शाफ़्ट लगी होती है और फिर हमारी जो क्रैंक होती है वो क्रैंक शाफ़्ट से जुड़ी रहती है।
ये सभी हमारे 2-स्ट्रोक Petrol इंजन के महत्वपूर्ण भाग थे। इन सभी का बहुत महत्वपूर्ण रोल होता है 2-स्ट्रोक Petrol इंजन कि वर्किंग प्रक्रिया में।
2 स्ट्रोक इंजन (पेट्रोल) की वर्किंग प्रक्रिया
2-स्ट्रोक Petrol इंजन कि वर्किंग प्रक्रिया इस प्रकार है-
2-स्ट्रोक Petrol इंजन कि वर्किंग प्रक्रिया के सभी क्रम: समान होते हैं 4-स्ट्रोक पेट्रोल इंजन की तरह जैसे सक्शन , कम्प्रेशन , एक्सपेंशन और एग्जॉस्ट । 2-स्ट्रोक भी ये सभी प्रक्रिया को पूर्ण करता है इंजन में , पर ये सभी दो पिस्टन स्ट्रोक में ही पूर्ण किए जाते हैं।
2- स्ट्रोक पेट्रोल इंजन को हम स्पार्क ignition इंजन भी कहते है , क्योंकि इसमें हम स्पर्क का उपयोग करते है fuel को बर्न करने के लिए ।
इसको हम 2-स्ट्रोक इंजन इसलिए भी कहते है , क्योंकि इसमें 2 – स्ट्रोक में ही सभी वर्किंग प्रक्रिया को किया जाता है। इसमें क्रैंक का एक पूर्ण Revolution 360° में समाप्त होता है। मतलब क्रैंक का एक पूर्ण चक्कर 360° में पूरा किया जाता है और इसी एक पूर्ण चक्कर में इंजन के चारों स्ट्रोक पूरे किये जाते हैं। क्योंकि 2-स्ट्रोक इंजन में हम दो – दो स्ट्रोक को एक साथ लेते हैं प्रक्रिया में। इसमें 180° में दो-स्ट्रोक पूर्ण किये जाते हैं और फिर 180° में बाकी के दो-स्ट्रोक पूर्ण किये जाते है। इस तरह क्रैंक का एक पूरा चक्कर 360° में पूरा हो जाता है और चारो स्ट्रोक भी।
अब हम देखेंगे कि आगे ये 2-स्ट्रोक पेट्रोल इंजन कैसे काम करता है इसमें पहले दो-स्ट्रोक एक्सपेंशन और एग्जॉस्ट होते हैं क्रैंक के 180° के चक्कर पूरा करने पर।
इसके दौरान हमारा जो पिस्टन है वो TDC (Top Dead Centre) से BDC (Bottom Dead Centre) की तरफ मूव करेगा और एक्सपेंशन प्रक्रिया होगी।
इस समय जब पिस्टन T . D . C से B . D . C कि तरफ मूव करता है। ऐसे में ट्रांसफर और एग्जॉस्ट पोर्ट दोनों ओपन रहती है।
ऐसे में जो हमारा फ्रेश चार्ज है वो ट्रांसफर पोर्ट कि मदद से इंजन सिलिंडर में एंटर करता है क्रैंक कैस से। जब ये फ्रेश चार्ज ऊपर इंजन सिलिंडर में एंटर करता है तब उसी समय ये बर्न gases को धक्का मारकर एग्जॉस्ट पोर्ट से बाहर निकाल देता है। इस तरह हमारे क्रैंक के 180° के रोटेशन के साथ दो स्ट्रोक भी पूरे होते हैं। इस 2-स्ट्रोक इंजन में एक डिफ्लेक्टर भी लगा रहता है जो बर्न gases को इंजन सिलिंडर से बहार निकालने में मदद करता है।
अब हम देखेंगे कि बाकी के दो-स्ट्रोक जैसे कम्प्रेशन और इनलेट में क्या प्रक्रिया होती है। इसमें जो पिस्टन है वो B . D . C (Bottom Dead Centre) से T . D . C (Top Dead Centre) कि तरफ मूव करता है। इसमें जो फ्रेश चार्ज आया था सिलिंडर में , वो सारा का सारा कम्प्रेश हो जायेगा । इस कम्प्रेशन प्रक्रिया के दौरान हमारे दोनों पोर्ट जैसे ट्रांसफर और एग्जॉस्ट दोनो बंद रहते हैं पूरी तरह।
इसका मतलब है जब हमारा पिस्टन मूव करता है ऊपर की तरफ तब फ्रेश चार्ज कम्प्रेश होता है और हमारी Inlet पोर्ट ओपेन रहती है। जिससे फ्रेश चार्ज एन्टर करता है इंजन सिलेंडर के भीतर। इस तरह हमारी क्रैंक अपना बचा हुआ 180° चक्कर पूरा करती है और इस दौरान दो प्रक्रिया एक साथ पूरी होती है , जैसे कम्प्रेशन और इनलेट। और एक Cycle भी पूरी हो जाती है
इसके बाद फिर पिस्टन T . D . C से B . D . C मूव करेगा और सभी प्रक्रिया पूरी करेगा पहले कि तरह और पूरा 360° क्रैंक रोटेशन पूर्ण होगा।
इस 2-स्ट्रोक इंजन में हम जो पिस्टन रिंग का उपयोग कराते है वो कंप्रेशन रिंग होती है जो हमारी gases को लीक होने से बचाती है क्रैंक कैस में।
आमतौर पर देखा जाये तो 2-स्ट्रोक इंजन को बनाने में कम खर्च होता है बाकी के इंजन की तुलना में। ये इंजन वजन में कम होते हैं मतलब थोड़े हल्के होते हैं वजन में।
इन सब विशेषताओं को देखते हुए 2-स्ट्रोक इंजन का उपयोग इन सभी मे किया जाता है जैसे – Chairsaws में , Weed Trimmers में , Off road Motor cycles , Outboard , Motors और Racing applications आदि में।
2-स्ट्रोक इंजन को Cold Temperature पर भी आसानी से स्टार्ट किया जा सकता है।
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