इस article मे हम सीमांत वेग के बारे मे सरल व आसान भाषा मे विस्तार से अध्ययन करेंगे कि सीमांत वेग क्या होता है सीमांत वेग का व्यंजक उत्पन्न और सीमांत वेग के क्या-क्या उदाहरण है तो चलिए इन सब को समझने की कोशिश करते है
सीमांत वेग (Terminal velocity) –
जब किसी वस्तु को श्यान तरल पदार्थ में डाला जाता है तो वस्तु त्वरित होने लग जाती है और कुछ समय पश्चात इसका त्वरण शुन्य हो जाता है और यह एक नियत वेग ग्रहण कर लेता है इस इस अधिकतम नियत वेग को ही सीमांत वेग कहा जाता है
सीमांत वेग के लिए व्यंजक –
माना कोई कण है जिसकी त्रिज्या r, आयतन V और घनत्व ρ है इसे η श्यानता वाले तरल द्रव मे छोड़ दिया जाता है तो इस कण पर दो बल कार्य करते है पहला उत्प्लावन बल U जो की उपर की ओर लगता है और दूसरा भार बल जो नीचे की ओर लगता है
उत्प्लावन बल –
U = विस्थापित होने वाले द्रव का आयतन × घनत्व × गुरुत्व त्वरण
U = Vσg ………(1)
कण के भार द्वारा लगने वाला बल –
W = आयतन ×घनत्व × गुरुत्व त्वरण
W = Vρg ………..(2)
जब कण की गति नीचे की तरफ हो तो लगने वाला परिणामी बल –
F₁ = W – U
F₁ = Vρg – Vσg
F₁ = V(ρ – σ) × g
जब वस्तु गोलाकार हो तो
F₁ = 4/3πr³(ρ – σ) × g …….(3)
स्टोक्स के नियम से –
F = 6πηrvT
जब त्वरण शुन्य हो तो –
F = F₁
6πηrvT – 4/3πr³(ρ – σ) × g
VT = 2r²(ρ – σ) × g/9η
यह समी. सीमांत वेग का समी. है
सीमांत वेग के उदाहरण –
1.पैराशूट से नीचे उतरना –
जब को इंसान किसी वायु यान से कूदता है को शुरू वह वह जैसे जैसे नीचे आता जाता है उसका वेग बड़ता जाता है क्योकि वायु की श्यानता उसके वेग कम करने का प्रयास करती है पर जैसे ही उसका पैराशूट खुलता है तो श्यान बल बड़ जाता है जिस कारण व्यक्ति का वेग बहुत कम हो जाता है और कुछ समय के बाद उसका वेग उसका त्वरण 0 हो जाता है अतः वह अपना सीमांत वेग प्राप्त कर लेता है और वह सफलता बहुत पृथ्वी पर आ जाता है
- बदलो का बनना –
वायु मे जल वाष्प, धुआँ, धूल मिट्टी के कण उपस्थित रहते हैं तो जल वाष्प इन कणो पर संघनित होने लगते है और छोटी बूंद बन जाती है और इन बूँदों पर वायु उपर की तरफ श्यान बल लगती है कुछ समय बाद ये बुँदे अपना सीमांत वेग पा लेती है पर इनका सीमांत वेग इनका आकर छोटा होने के कारण कम रहता है सीमांत वेग कम होने के कारण ये बुँदे नीचे नही गिर पाती है और ये बुँदे वायु मे तैरने लग जाती है और इन्हे हम बादल कहते है
- वर्षा में वर्षा की बूँदों का नीचे गिरना –
जब वाष्प के छोटी छोटी बुँदे बनती है तो जो हवा मे तैरती रहती है क्योकि इनका श्यान बल उपर की ओर लगता है जब गुरुत्व बल श्यान बल के समान हो जाता है तो ये बुँदे सीमांत वेग से नीचे की ओर आने लगती है जैसे जैसे बूँदों का सीमांत वेग बड़ता जाता है उनका सीमांत वेग बड़ता जाता है
- मिलिकन के प्रयोग का उपयोग वैधुत आवेश को ज्ञात करने के लिए इसमे स्टोक्स के सूत्र को उपयोग मे लाया जाता है इस प्रयोग से तेल की छोटी छोटी बूँदों को हवा मे गिराकर हम इन बूँदों का सीमांत का का मान ज्ञात कर लेते है और फ़िर इनकी त्रिज्या को पता करते है इन सब की सहायता से हम आवेशित बूँदों के वैधुत आवेश का आसानी से पता लगा सकते है
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