सिंगल प्लेट क्लच ऑटोमोबाइल्स में लगी एक डिवाइस होती है जो इंजन की पावर गियर बॉक्स तक जरूरत पड़ने पर पहुंचाती है। इंजन की पावर को 2 ज्वाइंट्स के बीच smooth(बिना झटके के) व gradual (धीरे-धीरे बढ़ाते या घटाते हुए) तरीके से जोड़ना या हटाना क्लच का मुख्य कार्य होता है।
वर्किंग प्रिंसिपल
इस फिगर के माध्यम से हम क्लच की बेसिक वर्किंग को समझ सकते हैं
इंजन से आने वाली ड्राइविंग शाफ्ट इंजन के साथ ही घूमती है। ड्राइविंग शाफ्ट के अंतिम छोर पर एक फ्लाईव्हील लगा होता है । इंजन शाफ्ट और फ्लाईव्हील दोनों इंजन के आर पी एम के साथ घूमती है। गियर बॉक्स मैं जाने वाली शाफ्ट को हम ड्रिवन शाफ्ट कहते हैं। इंजन के ड्राइविंग शाफ्ट और ड्रिवन शाफ्ट के बीच में क्लच प्लेट लगी होती है ।
क्लच प्लेट ड्रिवन shaft से जुड़ी हुई होती है जब ड्राइविंग शाफ्ट और ड्रिवन shaft जुड़ी हुई नहीं रहती है तब इंजन से मिलने वाली पावर सिर्फ ड्राइविंग शाफ्ट तक ही जाती है अर्थात केवल ड्राइविंग शाफ्ट ही घूमती है मगर जब ड्रिवन शाफ्ट ड्राइविंग शाफ्ट से चिपक जाती है तब ड्राइविंग शाफ्ट के साथ-साथ driven shaft भी घूमती है।
सिंगल प्लेट क्लच
सिंगल प्लेट क्लच मैं एक क्लच प्लेट लगी हुई होती है। क्लच प्लेट हाई फ्रिक्शन मटेरियल से बनी हुई होती है जैसे की कास्ट आयरन या हाई कार्बन स्टील। सिंगल प्लेट क्लच को हम इस फिगर की सहायता से समझ सकते हैं।
क्लच की केसिंग के अंदर एक तरफ इंजन शाफ्ट होती है जिसके छोर पर एक फ्लाईव्हील लगा होता है वही क्लच प्लेट की दूसरी ओर क्लच शाफ्ट होती है क्लच shaft के छोर पर स्पलाइंस(splines) कटी हुई होती हैं स्पलाइंस के ऊपर एक हब (hub) लगा हुआ होता है जो क्लच शाफ्ट की लंबाई की दिशा में आगे पीछे हो सकता है। हब से क्लच प्लेट जुड़ी हुई होती है क्लच प्लेट के पीछे एक प्रेशर प्लेट होती है प्रेशर प्लेट के पीछे स्प्रिंग लगी हुई होती है जो क्लच की केसिंग में फिट होती है। हब के मोशन को हम लीवर की सहायता से कंट्रोल करते हैं। लीवर का कंट्रोल ड्राइवर के पास होता है
सिंगल प्लेट क्लच की वर्किंग
क्लच की केसिंग के अंदर लगी हुई स्प्रिंग का बल या फोर्स प्रेशर प्लेट के द्वारा क्लच प्लेट पर पड़ता है। स्प्रिंग के फोर्स के कारण क्लच प्लेट इंजन शाफ्ट के फ्लाईव्हील से चिपक जाती है या जुड़ जाती है इस कारण जब भी इंजन चलता है तब उसके साथ साथ इंजन शाफ्ट भी घूमती है और क्लच प्लेट से चुपके होने के कारण clutch shaft भी घूमती है| इस तरह से इंजन की पावर क्लच के द्वारा गियर बॉक्स में ट्रांसफर हो जाती है।
ड्राइवर जब क्लच के लिवर को दबाता है तब लीवर के बल के कारण हब क्लच शाफ्ट पर पीछे की तरफ अर्थात इंजन शाफ्ट के विपरीत खिसक जाता है जिस कारण से क्लच प्लेट इंजन शाफ्ट के फ्लाईव्हील से अलग हो जाती है अलग हो जाने के कारण इंजन की पावर से सिर्फ इंजन शाफ्ट घूमती है और इंजन की पावर क्लच shaft के द्वारा गियर बॉक्स में ट्रांसफर नहीं हो पाती है।
सिंगल प्लेट क्लच का उपयोग
क्लच का मुख्य उपयोग गियर को बदलते वक्त होता है। जब भी ड्राइवर गाड़ी की स्पीड कम या ज्यादा होने के कारण गियर को बदलता है तब उसको क्लच को दबाना पड़ता है यानी क्लच को इंजन शाफ़्ट से अलग करता है| क्लच शाफ़्ट को इंजन शाफ़्ट से अलग करने के कारण गियर बॉक्स में लगी हुई काउंटर शाफ़्ट की रोटेशन स्पीड कम हो जाती है जिसके कारण गियर बदलने में आसानी होती है या फिर आप इस कथन इस तरीके से समझ सकते हैं कि एक गियर को दूसरे गियर से जोड़ने में आसानी होती है| अगर क्लच का यूज ना करें तो रुके हुए गियर को तेज गति से घूम रहे गियर के ऊपर चढ़ाने से गियर के दांत(teeth) टूट सकते हैं इस कारण से क्लच का उपयोग बहुत जरूरी हो जाता है। सिंगल प्लेट क्लच को ज्यादातर कार, बस, ट्रक और बड़े ऑटोमोबाइल्स में यूज किया जाता है| बड़े ऑटोमोबाइल्स में क्लच प्लेट की साइज को बड़ा रखने के लिए पर्याप्त स्पेस होता है इस कारण से बड़ी गाड़ियों में सिंगल प्लेट क्लच को इस्तेमाल किया जाता है| सिंगल प्लेट क्लच के कुछ फायदे होते हैं जैसे कि सिंगल प्लेट क्लच से कार्यप्रणाली बहुत स्मूथ(smooth) हो जाती है, क्लच प्लेट फिसलती(slipping) नहीं है, एवं एक प्लेट लगे होने के कारण हीट(heat) भी कम जनरेट होती है।
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