आज के इस article मे हम class 10 th और class 12 th के ओपटिक्स के टोपिक रेखिक आवर्धन के बारे मे पढ़ेंगे की यह क्या होता है इसे समझने के लिए हमने इस बहुत आसान शब्दो का उपयोग किया है आशा करते है आपको यह बहुत पसन्द आयेगा
आवर्धन का मतलब होता है कि प्रतिबिम्ब का साइज़ हमारी वस्तु से कितना बड़ा है और रेखीय आवर्धन की परिभाषा है दर्पण या लेंस से बने किसी वस्तु के प्रतिबिम्ब की लंबाई और वस्तु की लंबाई के अनुपात को रेखीय आवर्धन कहते है यह परिभाषा उत्तल दर्पण ,अवतल दर्पण और लेंस के लिए मान्य है आवर्धन को m से दर्शाते है
रेखीय आवर्धन मात्रक एवं विमाहीन राशि है
आवर्धन क्षमता का सूत्र
आवर्धन =प्रतिबिम्ब की लंबाई/वस्तु की लंबाई
जहाँ –
I = प्रतिबिंब की लम्बाई
O = वस्तु की लम्बाई
दर्पण के लिए –
m = -v/u = I/O
लेंस के लिए –
m = v/ u = I/ O
अवतल लेंस के लिए रेखीय आवर्धन यानि m का मान 1 से कम होता है तथा धनात्मक होता है और उत्तल लेंस के लिए रखीय आवर्धन का मान 1 से कम या ज्यादा या बराबर हो सकता है यदि उत्तल लेंस से बना प्रतिबिम्ब वास्तविक है तो m ऋणात्मक और आभासी प्रतिबिम्ब के लिए मान धनात्मक होता है
वस्तु के सापेक्ष बने प्रतिबिम्ब का आवर्धन धनात्मक और उलटी दिशा में बना प्रतिबिम्ब को ऋणात्मक लिखा जाता है
आवर्धन को m से ही दर्शाया जाता है चाहे वह रेखीय हो यानि लम्बाई के लिए हो या फिर मोटाई या चौड़ाई के लिए हो इसे m से ही लिखते है तभी क्षेत्रफल का आवर्धन m×m लिखेंगे
आशा है आपको समझ आ गया होगा इसे शेयर जरूर करें और कोई प्रश्न हो तो comment में लिखे आप किसी भी प्रकाशीय यन्त्र के बारे में जानना चाहते है जैसे सरल या संयुक्त सूक्ष्मदर्शी या पार्थिव का खगोलीय दूरदर्शी के बारे में जानना चाहते हो तो भी comment में लिख सकते है और यदि कोई प्रश्न किसी दुसरे यूजर ने किया है तो आप उसका answer भी दे सकते ह
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