यांत्रिक तरंगें वे तरंगें होती हैं जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान तक जाने के लिए एक माध्यम की जरूरत पड़ती है जैसे हवा पानी कांच आदि पर यह निर्वात में नहीं जा सकती यांत्रिक तरंग कंपन के द्वारा उत्पन्न होती हैं जल तरंगें,ध्वनि आदि यांत्रिक तरंगें है
हमने अभी कहा यांत्रिक तरंग है निर्वात में एक स्थान से दूसरे स्थान तक नहीं जा सकती और हमारे मुंह से निकलने वाली आवाज ध्वनि भी एक यांत्रिक तरंग है इसलिए यह भी निर्वात में नहीं जा सकती निर्वात यानी कि वेक्यूम जहां हवा बिल्कुल ही नहीं होती वहां से हवा निकाल ली जाती है यदि किसी वातावरण में निर्वात हो जैसे स्पेस में तो वहां हम पास में होकर भी बात नही कर सकते है यदि की जाए तो
तरंगों के संचरण के लिए माध्यम मे आवश्यक गुण –
- तरंग संचरण के लिए माध्यम में अवस्था परिवर्तन का विरोध करने वाला गुण होना चाहिए
- तरंग संचरण के लिए माध्यम का प्रतिरोध कम से कम होना चाहिए
- तरंग संचरण के लिए माध्यम में बल लगाने पर विस्थापित होने तथा बल हटाने पर प्रारंभिक अवस्था में आ जाने का का गुण होना चाहिए
तरंगों की विशेषताएँ-
- तरंग गति में केवल तरंग ही आगे की ओर चलती है जबकि माध्यम के कण केवल अपनी माध्य स्थिति के दोनों और कंपन करते हैं
- मध्यम के कणों की आवर्ती गति की पुनरावृति के उत्पन्न विक्षोभ ही तरंग है
- माध्यम का विक्षोभ अपनी मौलिक आकृति में एक निश्चित चाल से आगे बढ़ता है यह चाल माध्यम की प्रत्यास्थता था तथा उसके घनत्व पर निर्भर करती है
- मध्यम के कणों के बीच एक नियमित कला परिवर्तन होता है माध्यम में कोई भी कण अपने ठीक पीछे वाले कण के कंपन प्रारंभ करने के कुछ समय बाद कंपन प्रारंभ करता है
- कंपन करने वाले माध्यम के कण एक पूरे दोलन में नेट विस्थापन zero होता है
- तरंग गति मे माध्यम में होकर केवल ऊर्जा ही एक स्थान से दूसरे स्थान तक संचारित होती है माध्यम स्वयं अपने स्थान पर ही बना रहता है
- यांत्रिक तरंगों के लिए माध्यम मे जड़त्व तथा प्रत्यास्थता के गुणों का होना आवश्यक है
यांत्रिक तरंगों के प्रकार-
यांत्रिक तरंग दो प्रकार की होती हैं एक अनुप्रस्थ तरंग और अनुदैर्ध्य तरंग इनके बारे में हम डिटेल में जानेंगे
अनुप्रस्थ तरंगें
जब तरंगें ऐसी माध्यम में उत्पन्न होती है जिसमें माध्यम के कणों के कंपन करने की दिशा तरंग के चलने की दिशा के लंबवत है तो तरंगों को अनुप्रस्थ तरंगें कहते हैं
अनुप्रस्थ तरंग के लिए तरंगदैर्ध्य-इसके लिए पहले श्रंग और गर्त हो समझों तरंग का अपना अधिकतम मान ज्ञात करने पर जो बिंदु मिलता है उसे श्रंग कहते है और सबसे न्यूनतम मान को गर्त कहते है और अनुप्रस्थ तरंगों की तरंगदैर्ध्य (wave length) दो गर्तों या दो श्रंगों के बीच की दूरी को कहते है यह क्रमागत होने चाहिए
किसी पदार्थ में मध्यम में अनुप्रस्थ तरंगे तभी उत्पन्न हो सकती है जबकि माध्यम दृढ़ हो चुकी गैस या वायु में दृढ़ता नहीं है अतः गैस या वायु में अनुप्रस्थ तरंगे उत्पन्न नहीं हो सकती है द्रवो मे अनुप्रस्थ तरंगे केवल उनके तल पर ही बन सकती है
अनुप्रस्थ तरंग और अनुदैर्ध्य तरंग दोनों के लिए तरंगदैर्ध्य को से दर्शाते है
- अनुप्रस्थ तरंग ठोस और द्रव पर ही संचरित हो सकती है और होते समय माध्यम के दाब पर कोई प्रभाव नहीं डालती है एवम इनमे ध्रुवण होता है
उदाहरण के लिए यदि हम एक रस्सी के एक छोर को स्थिर रखें और दूसरे छोर को पकड़कर ऊपर से नीचे हिलांएँ तो वह अनुप्रस्थ तरंग के तरह व्यवहार करेगी तरंग लंबाई की दिशा में बहने लगेंगी
आपने देखा होगा जब हम किसी तालाब या झील जिसमें पानी बिल्कुल शांत है और उसमें हम एक पत्थर फेंकते हैं तो उस जगह पानी में विक्षोभ होने लगता है यह किनारे तक आता है फिर शांत हो जाता है एक अनुप्रस्थ तरंग है
ऐसा होने का एक कारण है कि जवाब पत्थर फेंकते हैं तो पानी के स्त्रोत में एक गड्ढा सा पड़ जाता है जैसे ही आसपास का पानी उस गड्ढे में भरता है तो वह ज्यादा भर जाता है गड्ढा पानी को बाहर जा सकता है जिसकी एक लहर सी बन जाती है इसी को भी अनुप्रस्थ तरंग कहेंगे
अनुदैर्ध्य तरंगें
जब कोई तरंगें ऐसे माध्यम में उत्पन्न होती हैं जिसमें माध्यम के कणों के कंपन करने की दिशा तरंग के चलने की दिशा के समांतर होते हैं अनुदैर्ध्य तरंगें कहलाती हैं
उदाहरण के लिए एक स्प्रिंग के एक सिरे को स्थिर रखकर दूसरे सिरे को पकड़कर खींचा और छोड़ा जाए तब तरंगें लंबाई की दिशा या समांतर ही कम्पन करेगी इस लिए इसे अनुदैर्ध्य तरंग कहेंगे
- अनुदैर्ध्य तरंग किसी भी माध्यम में जा सकती है और जिस माध्यम में जाती है उसका दाब परिवर्तन कर सकती है इनमे ध्रुवण नहीं होता है
माध्यम की प्रत्यास्थता तथा माध्यम के जड़त्व के कारण ही यांत्रिक तरंगों द्वारा केवल ऊर्जा एवं संवेग का संचरण होता है द्रव्य का नहीं यदि किसी माध्यम में ये 2 गुना हो तो ये यांत्रिक तरंगों का संचरण नही हो सकता माध्यम की प्रत्यास्थता अधिक होने पर तरंग की चाल बढ़ जाती है जबकि मध्यम का जड़त्व अधिक होने पर तरंग की चाल कम हो जाती है
अनुदैर्ध्य तरंगों के लिए तरंगदैर्ध्य–
इसके लिए पहले संपीडन और विरलन अवस्था समझें
इस चित्र को देखिये या स्प्रिंग को देखिये इसमें कुछ कण पास-पास है इन्हें विरलन अवस्था और कुछ के बीच की दूरी कम है इन्हें संपीडन अवस्था कहते है
दो सम्पीडनों या दो विरलनों के बीच की दूरी को अनुदैर्ध्य तरंग की तरंगदैर्ध्य कहते है पर ये संपीडन और विरलन क्रमागत होने चाहिए
ध्वनि भी एक अनुदैर्ध्य तरंग है आपने देखा होगा जब हम अपनी voice रिकॉर्ड करते है तब कुछ ऐसा ही हम देखते है ऊपर इमेज में जो लाइन्स आपको दिखती होंगी computer स्क्रीन या मोबाइल पर है वो अनुदैर्ध्य तरंग की है
friends यदि यांत्रिक तरंग और इसके प्रकार अनुप्रस्थ तरंगें और अनुदैर्ध्य तरंगें आपको समझ आ गयी हो तो इन्हें अपने friends से शेयर जरूर करें नीचे बटन है
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