माॅडुलन –
संदेश सिग्नल निम्न आवृत्ति के होते है। जिन्हें ज्यादा दूरी तक प्रेषित करना सम्भव नहीं है इसलिए इन्हे अधिक आवृत्ति की वहक तरंगों पर अध्यारोपित कराया जाता है। इसी प्रक्रिया को माॅडुलन कहते है।
मॉडुलन (मॉड्युलेशन) एक वेवफॉर्म के संबंध में दूसरे वेवफॉर्म से अलग अलग करने की क्रिया है। दूरसंचार में अधिमिश्रण का उपयोग संदेश भेजने के लिए होता है, परंतु एक संगीतकार स्वर-सामंजस्य के लिए किसी वाद्ययन्त्र के स्वर की मात्रा, उसका समय अथवा टाइमिंग व स्वराघात को अलग करने में इसका प्रयोग करता है।
माॅडुलन के प्रकार –
इसके तीन प्रकार होते है
- आयाम माॅडुलन (AM) इसमें वाहक तरंग के आयाम में संदेश सिग्नल के आयाम के हिसाब से परिवर्तित करते है। …
- आवृति माॅडुलन (FM) वाहक तरंग की आवृति में सदेश सिग्नल के आयाम के हिसाब से परिवर्तन होता है। …
- कला माॅडुलन अथवा पल्स माॅडुलन
माॅडुलनआवश्यकता –
मॉडुलन की क्या क्या आवश्यकता होती है
जब भी हम जोर से चिल्लाते है तो हमे पता लगता है कि हमारी चीख की आवाज कुछ दूरी पर जाने के बाद या तो नष्ट हो जाती है या जैसे दूरी बढ़ती जाती है वैसे वैसे हमारी आवाज धीमी होती जाती है और कुछ निश्चित दूरी के बाद हमारी आवाज सुनना बंद हो जाती है लेकिन यदि हम हमारे द्वारा चिल्लाकर भेजे गए संदेश को यदि तेज आवृत्ति की रेडियो तरंगों के साथ संचरित करे तो हमारा मेसेज अधिक दूरी तक पहुँच पाता है तथा इस तेज आवृत्ति की रेडियो तरंगों को जिसके साथ मैसेज तरंग अध्यारोपित की जाती है उसे वाहक तरंग कहते हैं तथा इस प्रक्रिया को मॉडुलन कहते है।
मॉडुलन के निम्नलिखित फायदे है या आवश्यकता है
1. एन्टीना की लम्बाई कम होने पर भी सूचना ज्यादा दूरी तक भेजी जा सकती है
2. मूल सिग्नल के साथ शोर अन्यथा अन्य सिग्नल जल्दी से मिल नहीं पाता है इस कारण मूल सिग्नल सुरक्षित रह पाता है।
3. ग्राही सिरे पर सिग्नल ज्यादा तीव्रता के साथ प्राप्त होता है।
4. सिग्नल ज्यादा दूरी पर संचरित हो सकता है।
5. समान ऊंचाई के जैसे एंटीना
Leave a Reply