फ्यूल इंजेक्टर एक प्रकार की डिवाइस है जो फ्यूल को इंजन के अंदर पहुंचाती है। इंजन में फ्यूल एक तय मात्रा में और बेहद बारीक कणों में चाहिए होता है जिसके लिए इंजेक्टर का यूज किया जाता है। फ्यूल को इंजेक्टर के द्वारा इंजन के अंदर स्प्रै किया जाता इंजेक्टर फ्यूल को इंजन के अंदर बेहद बारीक कणों में ( धुंध के जैसे) स्प्रे करता है जिसके कारण फ्यूल का कंबशन पूर्णता तरीके से होता है। इंजेक्टर कार्बोरेटर की तुलना में ज्यादा प्रभावशील होता है। इंजेक्टर का इस्तेमाल करने पर फ्यूल की खपत कार्बोरेटर की तुलना में कम होती है। इंजेक्टर के साथ फ्यूल पंप भी जरूरी होता है जो फ्यूल टैंक से फ्यूल को हाई प्रेशर के साथ फ्यूल लाइन में पहुंचा सके और यह फ्यूल लाइन इंजेक्टर से जुड़ी हुई होती है। फ्यूल इंजेक्टर फ्यूल को एक तय मात्रा में इंजन में भेजता है।
फ्यूल इंजेक्टर की वर्किंग
फ्यूल इंजेक्टर की वर्किंग को हम इस चित्र के माध्यम से समझ सकते हैं।
फ्यूल इंजेक्टर में नीचे की तरफ एक नोजल लगा होता है नोजल के ऊपर नोजल वाल्व होता है जो स्प्रिंग और रोड के द्वारा ऊपर व नीचे की तरफ मोशन करता है। रोड के मोशन को हम केम के रोटेशन के द्वारा ऑपरेट करते हैं। जब नोजल वाल्व लिवर और केम के फोर्स के कारण बंद होता है तब इंजन में जाने वाला फ्यूल पैसेज यानी पैसेज ब् बंद हो जाता है। तब फ्यूल पंप और फ्यूल लाइन से आने वाला फ्यूल पैसेज ।एठ के रास्ते पैसेज क् में चले जाता है। पैसेज क् फ्यूल को वापस फ्यूल टैंक में भेज देता है। केम के रोटेशन के कारण रोड पर से फोर्स हट जाता है तब नोजल वॉल स्प्रिंग के फोर्स के कारण ऊपर की तरफ उठ जाता है। नोजल वॉल्व के ऊपर उठ जाने के कारण पैसेज ठएक् बंद हो जाता है व पैसेज ब् चालू हो जाता है तब फ्यूल पैसेज ब् के रास्ते नोजल में जाता है व नोजल से स्प्रे के रूप में या मिस्ट या धुंध के रूप में इंजन में प्रवेश करता है।
फ्यूल इंजेक्टर के प्रकार
पुराने टाइम में मैकेनिकल ऑपरेटेड इंजेक्टर यूज होते थे मगर आज के समय में इस प्रकार के इंजेक्टर बहुत कम यूज होते हैं इनकी जगह पर इलेक्ट्रिकल ऑपरेटेड फ्यूल इंजेक्टर का यूज होने लगा है। इलेक्ट्रिकल ऑपरेटेड फ्यूल इंजेक्टर वॉल्व के मोशन को हम इलेक्ट्रॉनिक कंट्रोल यूनिट व इलेक्ट्रिक करंट के द्वारा ऑपरेट करते हैं।
पेट्रोल इंजन में फ्यूल की जगह फ्यूल-एयर का मिक्सचर लेते हैं इसके लिए एयर को कंप्रेस करके फ्यूल में मिलाकर इंजेक्टर में भेजना पड़ता है। इसके लिए या तो एयर कंप्रेशर पंप या फिर टर्बोचार्जर या सुपरचार्जर का इस्तेमाल करते हैं।
डीजल इंजन में फ्यूल में एयर को मिक्स करने की जरूरत नहीं पड़ती इसलिए डीजल इंजन में इंजेक्टर में सिर्फ डीजल लेते हे।
फ्यूल इंजेक्टर को नोजल के डिजाइन के हिसाब से अलग-अलग प्रकार से बताया जाता है।
सिंगल होल नोजल इंजेक्टर
इसमें नोजल मैं सिर्फ एक होल होता है जिससे फ्यूल को इंजन में स्प्रे किया जाता है इसका कंस्ट्रक्शन आसान होता है।
मल्टी हॉल नोजल इंजेक्टर
इसके नोजल में एक से ज्यादा होल होते हैं जिससे फ्यूल को इंजन में स्प्रे किया जाता है इसका कंस्ट्रक्शन कठिन होता है मगर इसके कुछ फायदे होते हैं जैसे फ्यूल का पूरे इंजन में अच्छे से स्प्रे हो जाना।
circumferencial नोजल इंजेक्टर
इसमें नोजल का निचला भाग एक गोल प्लेट के रूप में होता है जिससे फ्यूल इंजन में स्प्रे होता है इससे इस प्रकार के नोजल इंजेक्टर से फ्यूल का पूरे इंजन में अच्छे से स्प्रे हो जाता है
फ्यूल इंजेक्टर का यूज
फ्यूल इंजेक्टर को सबसे ज्यादा ऑटोमोबाइल्स में इस्तेमाल किया जाता है फ्यूल इंजेक्टर को पेट्रोल इंजन डीजल इंजन में यूज किया जाता है। नए ऑटोमोबाइल्स के पेट्रोल वर्जन मैं भी इंजेक्टर का यूज किया जाने लगा है।
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