न्यूटन का कणिका सिद्धांत क्या है ? इसकी क्या – क्या अवधारणाएं है | इसकी अमान्यता के क्या कारण है
आज के इस टॉपिक में हम न्यूटन का कणिका सिद्धांत के बारे में समझेंगे जिसमे हम देखेंगे की न्यूटन का कणिका सिद्धांत क्या होता है तथा न्यूटन का कणिका सिद्धांत के लिए क्या – क्या अवधारणाएं है उन सभी अवधारणाओं के बारे में हम समझेंगे तथा इसके बाद हम यह भी जानेंगे की किस प्रकार न्यूटन का कणिका सिद्धांत के आधार पर प्रकाश के सरल रेखा में गति , परावर्तन तथा अपवर्तन की व्याख्या की जा सकती है | तथा न्यूटन का कणिका सिद्धांत की अमान्यता के क्या कारण थे इसके बारे में समझेंगे तो चलिए समझना शुरू करते है –
न्यूटन का कणिका सिद्धांत
सन 1676 में वैज्ञानिक न्यूटन ने प्रकाश का कणिका सिद्धांत दिया था जिसमें उन्होंने बताया की प्रकाश छोटे – छोटे कणों से मिलकर बना होता है और इन कणों को कणिकाए कहा जाता है और प्रत्येक प्रकाश स्त्रोत बहुत सरे छोटे – छोटे कणों को उत्सर्जित करता है और सबसे खास बात यह है की उन्होंने माना की ये कण द्रव्यमान रहित होते है और इन्ही कणों को कणिकाए कहा जाता है इन्ही कणिकाओं के लिए न्यूटन ने कुछ अवधारणाओं को माना जो की निचे दी गई है –
1 . प्रकाश अत्यंत छोटे -छोटे द्रव्यमान रहित कणों से मिलकर बना होता है और इन्ही कणों को कणिकाएँ कहा जाता है |
2. ये कणिकाएँ किसी समांगी माध्यम में बहुत ही तीव्र वेग से सरल रेखा में गति करती है |
3. जब ये कणिकाएँ एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो इनके वेग में परिवर्तन हो जाता है |
4 . इन कणिकाओं में से अलग -अलग रंगों की कणिकाओं का आकार भी अलग -अलग होता है |
5 . जब ये कणिकाएँ हमारे आंख के रेटिना तक पहुँचती है तो हमें दृष्टि संवेदना प्राप्त होती है | जिसके कारण ही वह वस्तु हमें दिखाई देती है |
इस प्रकार न्यूटन का कणिका सिद्धांत की कुछ प्रमुख अवधारणाएं है | अब हम आगे समझते है की न्यूटन का कणिका सिद्धांत किस प्रकार प्रकाश की सरल रेखा में गति , परावर्तन तथा अपवर्तन की व्याख्या करता है |
प्रकाश के सरल रेखीय गमन की व्याख्या
न्यूटन ने माना की प्रकाश कणिकाओं का द्रव्यमान लगभग नगण्य होता है तथा इनका वेग बहुत अधिक होता है और इसी गुण के कारण इन पर पृथ्वी के आकर्षण बल का प्रभाव बिलकुल नगण्य होता है जिसके परिणाम स्वरुप ये कणिकाएँ सरल रेखा में गति करती है |
परावर्तन की व्याख्या
परावर्तन की व्याख्या करते हुए न्यूटन ने यह माना की जब प्रकाश कणिकाएँ किसी परावर्तक सतह के पास आती है तो उन पर पृष्ठ के लम्बवत प्रतिकर्षण बल लगता है अब इसको हम एक चित्र के माध्यम से समझते है –
दिए गए चित्र में MM’ एक परावर्तक पृष्ठ है अब एक कणिका चित्र में दिखाए गए अनुसार मार्ग AO पर इस पृष्ठ के समीप आती है अब पृष्ठ के लम्बवत प्रतिकर्षण बल के कारण कणिका के वेग का उर्ध्वाधर घटक धीरे –धीरे घटता जाता है और इसका जो क्षेतिज घटक है वो एक समान रहता है लेकिन जब बिंदु O पर उर्ध्वाधर घटक शून्य हो जाता है तब कणिका उसी माध्यम में OB मार्ग से परावर्तित हो जाती है |
लेकिन जब आपतित और परावर्तित कणिका समान माध्यम में गमन करती है इसलिए आपतित और परावर्तित कणिका का वेग समान रहता है | अब माना की आपतन बिंदु O पर अभिलम्ब ON है तब
∟AON = आपतन कोण i
तथा ∟BON = परावर्तन कोण r
आपतित तथा परावर्तित कणिका के वेग को क्षेतिज तथा उर्ध्वाधर घटको में वियोजित करने पर तथा क्षेतिज घटक को बराबर करने पर ,
v sin i = v sin r
अत:
i = r
इससे यह सिद्ध होता है की आपतन कोण तथा परावर्तन कोण बराबर होते है और चित्र से यह भी स्पष्ट हो गया है की आपतित किरण , अभिलम्ब तथा परावर्तित किरण तीनो कागज़ के तल में है | यही परावर्तन के नियम होते है जिनको न्यूटन का कणिका सिद्धांत से अच्छे से व्याख्या किया जा सकता है |
इसी प्रकार न्यूटन का कणिका सिद्धांत से अपवर्तन की व्याख्या की जा सकती है जिसमे सघन माध्यम से विरल माध्यम में अपवर्तन तथा विरल माध्यम से सघन माध्यम में अपवर्तन की व्याख्या की जा सकती है |
अब हम न्यूटन के सिद्धांत की अमान्यता के कारणों के बारे में समझेंगे |
न्यूटन का कणिका सिद्धांत की अमान्यता के कारण
न्यूटन का कणिका सिद्धांत की अमान्यता के निम्न कारण थे –
1 . कणिका सिद्धांत के अनुसार कणिकाओं की चाल , स्त्रोत के ताप पर निर्भर करती है जबकि अन्य प्रयोगों में यह पाया गया की प्रकाश की चाल स्त्रोत के ताप पर निर्भर नहीं करती है |
2 . कणिका सिद्धांत के अनुसार प्रकाश स्त्रोत से लगातार कणिकाएँ निकलते रहने से प्रकाश स्त्रोत का द्रव्यमान कम हो जाना चाहिए लेकिन ऐसा नहीं होता है |
3 . कणिका सिद्धांत के अनुसार सघन माध्यम में प्रकाश की चाल , विरल माध्यम में प्रकाश की चाल की अपेक्षा अधिक होती है , जबकि अन्य प्रयोगों द्वारा यह पाया गया की प्रकाश की चाल सघन माध्यम में कम तथा विरल माध्यम में अधिक होती है |
4 . न्यूटन का कणिका सिद्धांत के द्वारा प्रकाश की व्यतिकरण , विवर्तन , ध्रुवण , आदि घटनाओं की व्याख्या नहीं की जा सकती है |
5 . कणिका सिद्धांत में परावर्तन तथा अपवर्तन की व्याख्या करने के लिए परस्पर विपरीत परिकल्पनाएं की गयी है क्योंकि जब परावर्तन की व्याख्या की गई तब यह माना गया की कणिकाएँ परावर्तक पृष्ठ के समीप पृष्ठ के लम्बवत प्रतिकर्षण बल का अनुभव करती है ,
जबकि जब अपवर्तन की व्याख्या की गई तब यह माना गया की कणिकाएँ अपवर्तक पृष्ठ के समीप पृष्ठ के लम्बवत आकर्षण बल का अनुभव करती है | ये दोनों परस्पर विपरीत परिकल्पनाएं है और इन परस्पर विपरीत परिकल्पनाओं का कोई सेद्धान्तिक आधार नहीं है |
इस प्रकार ये कुछ कारण है जिनकी वजह से न्यूटन का कणिका सिद्धांत को अमान्य किया गया |
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