द्रव्य तरंगे क्या है ? द्रव्य तरंगो की तरंगदेर्ध्य का सूत्र | विशेषताएँ
द्रव्य तरंगे
आज के इस टॉपिक में हम एक बहुत ही Important टॉपिक के बारे में समझेंगे जिसे द्रव्य तरंगे कहते है जिसमे हम देखेंगे की द्रव्य तरंगे क्या होती है तथा जब द्रव्य तरंगे गति करती है तो इस तरंग की तरंगदेर्ध्य ( Wavelength ) का सूत्र क्या होता है और इसे किस प्रकार Derive किया जाता है तथा इसके बाद हम समझेंगे की इन तरंगो की क्या – क्या विशेषताएँ होती है इन सभ बातो के बारे में विस्तार से समझेंगे तो सबसे पहले शुरुआत करते है की द्रव्य तरंगे क्या है –
द्रव्य तरंगों को डी – ब्रोग्ली तरंगो के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि डी – ब्रोग्ली ने ही इन तरंगो के लिए अवधारणा दी थी और इन तरंगों की तरंगदेर्ध्य निकालने का सूत्र स्थापित किया था इस प्रकार द्रव्य तरंगो के बारे में डी – ब्रोग्ली ने बताया की जब भी कोई द्रव्य कण गति करता है तो उस कण से सम्बन्धित तरंग होती है इन्हें द्रव्य तरंगे कहा जाता है |
यदि किसी तरंग का संवेंग P हो तो इन द्रव्य तरंगो की तरंगदेर्ध्य का सूत्र इस प्रकार होगा –
λ = h / P
जहा h = प्लांक नियतांक है |
इस प्रकार सर्वप्रथम डी – ब्रोग्ली ने ही द्रव्य की द्वेती प्रकृति के बारे में बताया था की जिस प्रकार प्रकाश या विकिरण की द्वेती प्रकृति होती है उसी प्रकार द्रव्य की भी द्वेती प्रकृति होती है और जब इस द्रव्य का कोई द्रव्य कण गतिशील अवस्था में होता है तो इस कण से सम्बन्धित तरंग होती है उसे ही द्रव्य तरंगे कहा जाता है | अब समझेंगे की इन द्रव्य तरंगो या डी – ब्रोग्ली तरंगो के लिए इनकी तरंगदेर्ध्य का सूत्र कैसे ज्ञात किया जाता है |
द्रव्य तरंगो की तरंगदेर्ध्य
सर्वप्रथम आइन्सटाइन ने यह माना की जब भी कोई फोटोन स्थिर अवस्था में होता है तो इसका द्रव्यमान शून्य होता है और जब यही फोटोन गतिशील होता है तो इसकी उर्जा का मान –
E = mc2 —– ( 1 )
होता है |
लेकिन मैक्स प्लांक ने भी इस फोटोन की उर्जा से सम्बन्धित एक समीकरण दिया जो की फोटोन की उर्जा के बारे में बताता है और इस समीकरण के अनुसार किसी फोटोन की उर्जा का मान –
E = h υ —– ( 2 )
होता है |
और इस प्रकार क्योंकि दोनों ही समीकरण फोटोन की उर्जा से सम्बन्धित होती है और जब दोनों समीकरणों की आपस में तुलना की जाए तो –
समी. ( 1 ) = समी. ( 2 )
mc2 = h υ —- ( 3 )
लेकिन हम जानते है की
υ = c / λ
इसका मान समीकरण 3 में रखने पर –
mc2 = h c / λ
mc = h / λ
λ = h / mc —- ( 4 )
समीकरण 4 में m = द्रव्यमान है तथा c = प्रकाश का वेग है और द्रव्यमान का गुणा वेग से करने पर संवेग प्राप्त होता है अर्थात
संवेग ( P ) = द्रव्यमान ( m ) × वेग ( c )
या
P = mc
इस mc का मान समीकरण 4 में रखने पर –
λ = h / P —- ( 5 )
यह समीकरण 5 ही द्रव्य तरंगो या डी – ब्रोग्ली तरंगो के लिए तरंगदेर्ध्य का सूत्र है जहा –
λ = डी – ब्रोग्ली तरंगो के लिए तरंगदेर्ध्य है
h = प्लांक नियतांक है
P = संवेग है
अब हम समझेंगे की द्रव्य तरंगो की क्या क्या विशेषताएँ होती है
द्रव्य तरंगो की विशेषताएँ
द्रव्य तरंगो की निम्न विशेषताएँ होती है –
1 . प्रत्येक गतिमान कण से सम्बंधित तरंग को द्रव्य तरंग कहा जाता है |
2 . ये सभी गतिशील कणों के लिए पाई जाती है |
3 . अधिक द्रव्यमान वाले कण के लिए उसकी तरंगदेर्ध्य का मान कम होता है अर्थात तरंगदेर्ध्य छोटी होती है |
4 . ये निर्वात में भी गमन कर सकती है |
5 . ये विद्युत चुम्बकीय तरंगे नहीं होती है |
6 . अधिक वेग से गति करने वाले कण की तरंगदेर्ध्य छोटी होती है |
7 . जब कोई कण स्थिर अवस्था में होता है तो उससे सम्बन्ध तरंगदेर्ध्य का मान शून्य होता है अर्थात किसी कण के लिए उसकी तरंगदेर्ध्य को तभी परिभाषित किया जा सकता है जबकि वह कण गतिशील अवस्था में हो |
8 . इन द्रव्य तरंगो का कोई भौतिक स्वरुप नहीं होता है |
इस प्रकार इन द्रव्य तरंगो की बहुत सी विशेषताएँ होती है जिनके बारे में हमने इस टॉपिक में समझा |
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