ट्रांसफार्मर रेडिएटर क्या होता है ? इसकी वर्किंग समझाइये
ट्रांसफार्मर रेडिएटर
हम जानते है की जब भी किसी ट्रांसफार्मर को बनाया जाता है तो उसके लिए बहुत सारे डिवाइस की जरुरत पड़ती है तब एक ट्रांसफार्मर बनकर तैयार होता है | जिन उपकरणों की सहायता से एक ट्रांसफार्मर को तैयार किया जाता है उनमे से सभी उपकरणों का अलग – अलग काम होता है | इसलिए सभी उपकरणों को अलग – अलग काम के लिए एक ट्रांसफार्मर में इंस्टाल किया जाता है | उनमे से कुछ महत्वपूर्ण उपकरण इस प्रकार है –
वाइंडिंग , कोर , कन्जर्वटर ,वाल्व , ब्रिथर , स्टील टैंक , आयल गेज , थर्मो मीटर , बल्ब , बुशिंग , ट्रांसफार्मर रेडिएटर , कूलिंग फेंस , ट्रांसफार्मर इंसुलेशन , आदि सभी महत्वपूर्ण डिवाइस होते है जिनका उपयोग ट्रांसफार्मर में किया जाता है | लेकिन आज के इस टॉपिक में ट्रांसफार्मर रेडिएटर के बारे में पड़ेंगे | ट्रांसफार्मर में ट्रांसफार्मर रेडिएटर एक महत्वपूर्ण डिवाइस होता है जो की ट्रांसफार्मर आयल की कूलिंग के लिए उपयोगी होता है तो अब हम इसके बारे में डिटेल में समझते है |
ट्रांसफार्मर रेडिएटर , ट्रांसफार्मर में उपयोग होने वाला एक ऐसा डिवाइस होता है जिसका उपयोग ट्रांसफार्मर में कूलिंग के लिए किया जाता है तथा साथ ही इसका उपयोग करके थर्मल एनर्जी को एक मीडियम से दुसरे मीडियम में ट्रांसफर भी किया जाता है |
इसको बनाने के लिए कुछ खोखले पाइप का उपयोग किया जाता है और फिर उनको आपस में कनेक्ट करके एक बेंक तैयार किया जाता है और अब इस बेंक को पॉवर ट्रांसफार्मर में ट्रांसफार्मर आयल की कूलिंग के लिए उपयोग किया जाता है | तथा कुछ बेंक का उपयोग लोडिंग कंडीशन में ट्रांसफार्मर की वाइंडिंग के तापमान को कम करने के लिए भी किया जाता है |
तथा इनको कनेक्ट करने के लिये पाइप लाइन का उपयोग किया जाता है और इस प्रकार ट्रांसफार्मर के उपरी एव निचले भाग पर इन बेंक यानि ट्रांसफार्मर रेडिएटर को ट्रांसफार्मर से कनेक्ट किया जाता है |
लेकिन अब हम यह समझते है की आखिर इन ट्रांसफार्मर रेडिएटर की जरुरत कूलिंग के लिए क्यों होती है | अर्थात अब हम देखेंगे की आखिर किस प्रकार यह हीट जनरेट होती है | जिससे इसका आयल या फिर इसकी वाइंडिंग को ठंडा करने की जरुरत होती है |
जैसा की हम जानते है की ट्रांसफार्मर में इलेक्ट्रिक करंट का फ्लो होता है जिसके कारण इसमें कई तरह के लोस होते है जैसे की आयरन लोस , कोर लोस आदि कई तरह के लोस होते है | और इस लोस के कारण जो एनर्जी जनरेट होती है वो हीट एनर्जी के रूप में जनरेट होती है जिससे ट्रांसफार्मर आयल का तापमान बड जाता है जिससे ट्रांसफार्मर आयल गर्म हो जाता है |
लेकिन हम जानते है की किसी भी ट्रांसफार्मर के लिए अगर उसके तापमान में होने वाली इस वृद्धि को अगर कंट्रोल कर लिया जाए तो ट्रांसफार्मर की रेटिंग को बढाया जा सकता है | इसके लिए इस इंसुलेटिंग आयल के तापमान को कम करने का काम ये ट्रांसफार्मर रेडिएटर करते है | और इस प्रकार ये लगातार कूलिंग का काम करके इस ट्रांसफार्मर की लोडिंग कैपेसिटी को भी बड़ा देते है |
ट्रांसफार्मर रेडिएटर की वर्किंग
ट्रांसफार्मर रेडिएटर का मुख्य काम ट्रांसफार्मर आयल के तापमान को कम करना होता है | क्योंकि जब भी ट्रांसफार्मर को लोड से कनेक्ट किया जाता है तो इस आयल का तापमान बड जाता है | तापमान के बड जाने से से ट्रांसफार्मर आयल का आयतन भी बड जाता है | अब इस आयतन के बड़ने के कारण इसको जिस टैंक में रखा जाता है , ये आयल इस टैंक के उपरी भाग पर आ जाता है |
अब जैसे ही ये आयल उपर जाता है टैंक के उपर लगे वाल्व की सहायता से यह आयल रेडिएटर के अन्दर पहुँच जाता है | जहा ट्रांसफार्मर रेडिएटर के अंदर यह गर्म आयल ठंडा हो जाता है | अब एक और वाल्व जिसे बॉटम रेडिएटर वाल्व के नाम से जाना जाता है जो की टैंक के निचले भाग में लगा रहता है | इस बॉटम रेडिएटर वाल्व की सहायता से ठंडा आयल ट्रांसफार्मर रेडिएटर से वापस टैंक में चला जाता है |
इस प्रकार दोबारा जब यह ठंडा आयल जो टैंक में पहुंचा है जब ये गर्म हो जाता है तो फिर से टैंक का आयतन बड जाता है और गर्म आयल टेंक के उपरी भाग पर चला जाता है | अब उपरी वाल्व की सहायता से फिर से गर्म आयल रेडिएटर में पहुँच जाता है और इस प्रकार यह प्रिक्रिया बार – बार चलती रहती है जब तक की ट्रांसफार्मर से लोड कनेक्ट रहता है | जिससे गर्म आयल ठंडे आयल में बदलता रहता है |
लेकिन जब ट्रांसफार्मर रेडिएटर के द्वारा कूलिंग का काम किया जाता है तो बार – बार गर्म आयल के संपर्क में आने से ये ट्रांसफार्मर रेडिएटर भी गर्म हो जाते है | इसलिए इनके लिए भी हीट को कम करने के लिए इनके ऊपर फोर्स्ड एयर का प्रयोग किया जाता है | जो की इनके ऊपर फेंस को लगाकर एयर को फोर्स्ड किया जाता है |
अब इन फेंस को इस प्रकार लगाया जाता है की उनका फोकस पूरी तरह से ट्रांसफार्मर रेडिएटर की तरफ ही रहे जिससे की ये रेडिएटर लगातार ठंडे होते रहे या इनकी हीट को नियंत्रित किया जा सके | इसके लिए इन फेंस को या तो ट्रांसफार्मर रेडिएटर के उपर ही फिट कर दिया जाता है या फिर इनको इन रेडिएटर के आसपास इनकी तरफ फोकस करके लगा दिया जाता है |
इस प्रकार ट्रांसफार्मर रेडिएटर की वर्किंग होती है और इसका उपयोग करके ट्रांसफार्मर आयल में उत्पन्न होने वाली हीट को कम किया जाता है | जिससे ट्रांसफार्मर की लोडिंग कैपेसिटी को बड़ाया जा सकता है |
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