ट्रांसफार्मर कूलिंग सिस्टम क्या होता है ? इसकी विधियाँ समझाइये
ट्रांसफार्मर कूलिंग सिस्टम
आज हम बात करेंगे ट्रांसफार्मर के लिए उपयोग होने वाले ट्रांसफार्मर कूलिंग सिस्टम के बारे में जिसका उपयोग करके ट्रांसफार्मर में कूलिंग या फिर शीतलन किया जाता है | लेकिन सबसे पहले हम यह समझेंगे की आखिर ट्रांसफार्मर कूलिंग सिस्टम की जरुरत क्यों होती है |
साथ ही यह भी समझेंगे की ट्रांसफार्मर गर्म क्यों और केसे होता है | जिसके लिए इसको ठंडा करने या ट्रांसफार्मर कूलिंग सिस्टम की जरुरत पडती है और फिर इस शीतलन या ट्रांसफार्मर कूलिंग सिस्टम की प्रक्रिया में कोन – कोन सी विधिया है जिनका उपयोग ट्रांसफार्मर की कूलिंग के लिए किया जाता है , तो इन सभी बातो को तथा ट्रांसफार्मर कूलिंग सिस्टम की सभी विधियों को आज के टॉपिक में हम विस्तार से समझेंगे |
तो सबसे पहले हम यह समझते है की आखिर ट्रांसफार्मर गर्म क्यों होता है और किस प्रकार गर्म होता है |
हम जानते है की जब भी किसी ट्रांसफार्मर का उपयोग पॉवर सप्लाई के लिए या फिर अन्य ऑपरेशन में जब ट्रांसफार्मर का उपयोग लगातार किया जाता है तो उपयोग के दोरान इसमें कई तरह के लोस होते है जैसे कॉपर लोस , आयरन लोस आदि और जब इन सभी लोस के दोरान जो हीट उत्पन्न होती है वह हीट एनर्जी के फॉर्म में उत्त्पन होती है |
अब यह हीट एनर्जी इस ट्रांसफार्मर के अन्दर तापमान को बड़ा देती है और जब यह प्रोसेस लगातार होता है तो तापमान में लागातार वृद्धि होती जाती है | अगर उपकरण के अन्दर इस तापमान को कम नही किया जाए तो फिर इसमें इस तापमान के कारण कई तरह के हानिकारक प्रभाव देखने को मिल सकते है ,
जैसे की ट्रांसफार्मर का इंसुलेशन का खराब हो जाना , या फिर इसके अन्दर जो लिक्विड मीडियम होता है उसका खराब हो जाना या फिर अगर तापमान ज्यादा बड जाए तो ट्रांसफार्मर के जलने का खतरा भी बड जाता है | इन प्रकार की घटना से उपकरण बहुत ही जल्दी या फिर समय से पहले ही खराब हो सकता है |
इन सब होने वाले नुकसानों से बचने के लिए ट्रांसफार्मर में कूलिंग सिस्टम यानि की शीतलन का ट्रांसफार्मर कूलिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है जिससे इन सब नुकसानों से बचा जा सके और उपकरण ज्यादा समय तक सही तरीके से काम कर सके |
इस प्रकार ट्रांसफार्मर में कूलिंग की आवश्यकता होती है जिससे यह लम्बे समय तक काम कर सके | ट्रांसफार्मर की कूलिंग या फिर ट्रांसफार्मर कूलिंग सिस्टम के लिए कई प्रकार की विधियों का उपयोग किया जाता है | तो अब हम इन सारी विधियों के बारे मे समझते है की ये विधिया क्या होती है , ये कितने प्रकार की होती है और किस प्रकार इनका उपयोग किया जाता है |
ट्रांसफार्मर कूलिंग की विधियाँ
अब हम अगर ट्रांसफार्मर के बारे मे बात करे तो क्यूंकि क्यूंकि ट्रांसफार्मर भी दो तरह के होते है एक होता है , ड्राई टाइप ट्रांसफार्मर एव दूसरा होता है , आयल Immersed टाइप ट्रांसफार्मर | अब अगर दो टाइप के ट्रांसफार्मर है तो इनके लिए उपयोग की जाने वाली कूलिंग की विधियाँ यानि की ट्रांसफार्मर कूलिंग सिस्टम की विधिया भी अलग – अलग होगी तो अब हम इन दोनों के लिए अलग – अलग उपयोग की जाने वाली कूलिंग विधियों के बारे में बात करेंगे |
दोनों टाइप के ट्रांसफार्मर के नाम
1 . Dry टाइप ट्रांसफार्मर
2 . Oil Immersed ट्रांसफार्मर
अब इनके लिए उपयोग होने वाली विधिया
1 . Dry टाइप ट्रांसफार्मर
( A ) एयर नेचुरल ( AN )
( B ) एयर ब्लास्ट या एयर फोर्स्ड ( AF )
2 . Oil Immersed ट्रांसफार्मर
( A ) आयल नेचुरल एयर नेचुरल ( ONAR )
( B ) आयल नेचुरल एयर फोर्स्ड ( ONAF )
( C ) आयल फोर्स्ड एयर फोर्स्ड ( OFAF )
( D ) आयल नेचुरल वाटर फोर्स्ड ( ONWF )
( E ) आयल फोर्स्ड वाटर फोर्स्ड ( OFWF )
अब हम इनके बारे में डिटेल में समझते है –
Dry टाइप ट्रांसफार्मर
एयर नेचुरल ( AN )
यह ट्रांसफार्मर की कूलिंग के लिए उपयोग होने वाला ऐसा मेथड होता है जिसमे ट्रांसफार्मर के अन्दर जनरेट होने वाली हीट को नेचुरल एयर के द्वारा ही ठंडा किया जाता है | अर्थात जब ट्रांसफार्मर के ऑपरेशन के दोरान जब इसके अन्दर तापमान ज्यादा हो जाता है तथा जब यह गर्म हो जाता है | तब इसके अन्दर की हवा का तापमान भी इसके आसपास वाली हवा के तापमान से ज्यादा हो जाता है | इस स्थति में नेचुरल हवा को इसके अन्दर सर्क्युलेट कर दिया जाता है |
इस प्रकार इसके अंदर होने वाली गर्म हवा को ठंडी नेचुरल हवा से रिप्लेस कर दिया जाता है |
एयर ब्लास्ट या एयर फोर्स्ड ( AF )
यह एक ऐसा मेथड होता है जिसमे ट्रांसफार्मर के अंदर जनरेट होने वाली हीट को कम करने या फिर पूरी तरह से नष्ट करने के लिए फोर्स्ड एयर या एयर ब्लास्ट का उपयोग किया जाता है | इसके लिए ट्रांसफार्मर में फेंस तथा ब्लोवर्स लगे रहते है | जब भी तापमान बड़ता है तब ये फेंस तथा ब्लोवर्स बहुत ही तेज गति के साथ घूमते है | जिसके कारण यहा ठंडी हवा का सर्कुलेशन होता है , और इस प्रकार गर्म हवा ठंडी हवा से रिप्लेस हो जाती है |
Oil Immersed ट्रांसफार्मर
आयल नेचुरल एयर नेचुरल ( ONAR )
इस विधि में गर्म आयल का कन्वेंशनल फ्लो का उपयोग करके कूलिंग की जाती है | इसके लिए ट्रांसफार्मर में उपयोग होने वाले टैंक के उपर वाले भाग में गर्म आयल को फ्लो कराया जाता है , तथा निचले भाग में ठंडे आयल का फ्लो कराया जाता है | अब इस प्रिक्रिया के दोरान जो गर्म आयल उपर फ्लो हो रहा है वह हीट को वातावरण में मुक्त कर देगा | तथा इस प्रकार नेचुरल कंडकशन , कन्वेंशन एव रेडिएशन के द्वारा गर्म हवा ठंडी हवा में बदल जाएगी |
आयल नेचुरल एयर फोर्स्ड ( ONAF )
यह विधि आयल नेचुरल एयर नेचुरल विधि से भी फ़ास्ट होती है क्योंकि इसमें फोर्स्ड एयर काप्रयोग किया जाता है | इसके लिए इसमें ट्रांसफार्मर के अंदर फेंस एव ब्लोवर्स लगे रहते है , जो की हवा को फोर्स के साथ अन्दर पहुंचाते है जिससे कूलिंग और भी फ़ास्ट हो जाती है | तथा इस प्रकार नेचुरल कंडकशन , कन्वेंशन एव रेडिएशन के द्वारा गर्म हवा ठंडी हवा में बदल जाएगी |
आयल फोर्स्ड एयर फोर्स्ड ( OFAF )
इस विधि के लिए जो आयल नेचुरल फ्लो हो रहा होता है उसकी जगह अगर और भी तेजी से कूलिंग करना हो तो उसके लिए आयल को फोर्स दिया जाता है | इसके लिए आयल पंप का उपयोग करके ट्रांसफार्मर के अन्दर आयल पंप का उपयोग करके फोर्स्ड आयल को सर्कुलेट किया जाता है | और एयर भी फोर्स्ड ही उपयोग किया जाता है | और इसका फायदा यह होता है की यह एक कॉम्पैक्ट सिस्टम बन जाता है | तथा सामान कैपेसिटी की कूलिंग के लिए कम स्थान की जरुरत होती है |
आयल नेचुरल वाटर फोर्स्ड ( ONWF )
इस विधि में ट्रांसफार्मर की कोर एव वाइंडिंग को आयल के अंदर रखा जाता है | तथा इस आयल टैंक के बाहर की साइड में एक रेडिएटर का उपयोग किया जाता है | जब तापमान बड़ता है और आयल उपर की तरफ आता है , तब हीट को नेचुरल कॉन्वेक्सन प्रोसेस के द्वारा कम किया जाता है |जब आयल इस रेडिएटर से होकर पास होता है | जिससे वाटर पंप होता है और इस प्रोसेस के द्वारा कूलिंग हो जाती है |
आयल फोर्स्ड वाटर फोर्स्ड ( OFWF )
इस विधि में एक हीट एक्स चेन्जर का उपयोग किया जाता है जिसमे पंप की सहायता से आयल तथा वाटर दोनों को प्रवाहित किया जाता है | इस के लिए आयल के प्रेशर को वाटर के प्रेशर से हमेशा हाई रखा जाता है जिससे की अगर किसी भी प्रकार का लीकेज सिस्टम में हो तो आयल वाटर के अन्दर मिक्स हो सके |
परन्तु वाटर आयल के साथ मिक्स न हो | इस विधि का उपयोग ज्यादातर हाइड्रो पॉवर प्लांट में किया जाता है | तथा जहा भी हाई रेटिंग के ट्रांसफार्मर का उपयोग होता है वह पर इस मेथड का उपयोग होता है |
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