ट्रांसफार्मर आयल क्या है ? प्रकार | टेस्टिंग | गुण
ट्रांसफार्मर आयल
जैसा की हम जानते है की इलेक्ट्रिकल पॉवर के ट्रांसमिशन एव डिस्ट्रीब्यूशन के लिए एक इलेक्ट्रिकल पॉवर ट्रांसफार्मर की आवश्यकता होती है | तथा एक इलेक्ट्रिकल पॉवर ट्रांसफार्मर को बनाने के लिए कई प्रकार के एलिमेंट्स एव डिवाइस की जरुरत पडती है |
जिनमे से ट्रांसफार्मर आयल भी एक एलिमेंट है जो की ट्रांसफार्मर के लिए बहुत उपयोगी होता है इसके कई तरह के फंक्शन होते है | तो आज हम इसी ट्रांसफार्मर आयल के बारे में बात करेंगे की ट्रांसफार्मर आयल क्या होता है | ये कितने प्रकार का होता है | इसके क्या गुण होते है | इसकी टेस्टिंग किस प्रकार की जाती है | इन सभी पॉइंट्स के बारे में हम आज डिटेल में बात करेंगे तो सबसे पहले हम समझते है ट्रांसफार्मर आयल क्या होता है और इसका उपयोग क्यों किया जाता है |
ट्रांसफार्मर के अंदर उपयोग किया जाने वाला आयल एक विशेष प्रकार का आयल होता है | जिसका उपयोग ट्रांसफार्मर के अंदर इंसुलेटिंग मीडियम के लिए किया जाता है | तथा साथ ही ट्रांसफार्मर आयल का उपयोग ट्रांसफार्मर में कूलिंग के लिए भी किया जाता है | इसीलिए इस आयल को इंसुलेटिंग आयल तथा ट्रांसफार्मर आयल के नाम से भी जाना जाता है |
इस आयल का एक और गुण होता है की जब भी ट्रांसफार्मर का तापमान बड़ता है तब ये अपने स्थायित्व को बने रखता है तथा इसका उपयोग करके ट्रांसफार्मर के तापमान को कम किया जाता है , कोरोना डिस्चार्ज को रोकने तथा आर्किंग को रोकने के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है |
ट्रांसफार्मर आयल के प्रकार
अब हम बात करते है इस आयल के प्रकार की जहा हम देखते है ट्रांसफार्मर आयल जो ट्रांसफार्मर में ज्यादातर उपयोग किया जाता है वो दो प्रकार का होता है एक होता है Naphtha आधारित ट्रांसफार्मर आयल तथा दूसरा होता है Paraffin आधारित ट्रांसफार्मर आयल | अब हम इनके बारे में समझते है
Naphtha आधारित ट्रांसफार्मर आयल
जब हम बात करे Naphtha आधारित ट्रांसफार्मर आयल की तो इसकी ऑक्सीडेशन की क्षमता Paraffin आधारित आयल से ज्यादा होती है | इसके अंदर Dissolved Wax को कन्टेन नहीं करता है यह वैक्स एक ऐसा गुण होता है जो Pour पॉइंट तथा पोटेंशल कॉज इशू को बड़ाने का काम करता है | लेकिन इसके प्रोडक्ट यानि की इसके ऑक्सीडेशन का स्लज ज्यादा घुलनशील होता है इसी कारण से Naphtha आधारित ट्रांसफार्मर आयल टैंक के बॉटम में नही रहता है | तथा यह ट्रांसफार्मर के कूलिंग सिस्टम को किसी भी प्रकार से डिस्टर्ब नहीं करता है |
Paraffin आधारित ट्रांसफार्मर आयल
जब हम Paraffin आधारित ट्रांसफार्मर आयल की बात करते है तो यह इतनी आसानी से ऑक्सीडेशन की क्रिया नहीं करता है मतलब की इसकी ऑक्सीडेशन की क्षमता Naphtha आधारित ट्रांसफार्मर आयल से कम होती है | इसीलिए इसके द्वारा उत्पन्न स्लज की मात्रा भी कम होती है | त्तथा यह स्लज टैंक के बॉटम में ज्यादा रहता है | जिसकी वजह से ट्रांसफार्मर का कूलिंग सिस्टम प्रभावित होता है | तथा इसके द्वारा बनने वाले स्लज को आसानी से नहीं हटाया जा सकता है |
इस प्रकार Paraffin आधारित ट्रांसफार्मर आयल साधारण रूप से ज्यादा उपयोग होने वाला आयल होता है | इस प्रकार हमने इसके प्रकारों को समझा अब हम इसकी टेस्टिंग के बारे में समझते है |
ट्रांसफार्मर आयल की टेस्टिंग
जिस प्रकार हम देखते है की इलेक्ट्रिकल ट्रांसफार्मर हो या और भी कोई इलेक्ट्रिकल उपकरण हो ये लगातार उपयोग में आते रहते है | इसी प्रकार जब लम्बे समय तक एक ट्रांसफार्मर का उपयोग किया जाता है तो प्रॉपर तरीके से ट्रांसफार्मर आयल की टेस्टिंग भी जरुरी होती है जिससे की ये ट्रांसफार्मर लम्बे समय तक अच्छी efficiency के साथ काम कर सके |
ट्रांसफार्मर आयल की टेस्टिंग के लिए ट्रांसफार्मर के टैंक के निचले भाग से आयल को लिया जाता है तथा फिर उसकी टेस्टिंग की जाती है | इसकी टेस्टिंग के लिए एक कप लिया जाता है जो की लगभग 4 mm का होता है जिसे टेस्टिंग कप के नाम से भी जाना जाता है | इस कप के अंदर दो इलेक्ट्रोड़ लगे होते है अब इस कप में आयल लेकर यह देखा जाता है की यह 45 KV के लिए Withstand करना चाहिए लगभग 1 मिनट के लिए |
इस प्रकार इसकी टेस्टिंग की जाती है | जब इस प्रकार ये आयल 45 KV के लिए Wthstand नही करता है तब इस आयल की डाई इलेक्ट्रिक स्ट्रेंथ बड जाती है तथा इलेक्ट्रोड के बिच एक स्पार्क भी जम्प हो सकती है जब भी आयल में फेलियर आता है तब |
इसके लिए कई फैक्टर होते है जिनकी टेस्टिंग की जाती है जैसे की –
1 . Liquid पॉवर फैक्टर
2 . इंटर फेसिअल टेंशन
3 . स्पेसिसिफिक रेजिस्टेंस
4 . डाई इलेक्ट्रिक ब्रेक डाउन वोल्टेज
5 . स्टैण्डर्ड स्पेसिफिकेशन
6 . एसिड नंबर
आदि फैक्टर होते है | जिनको टेस्ट किया जाता है |
ट्रांसफार्मर आयल के गुण
अब हम बात करते है इस आयल के अलग – अलग गुण के बारे में तो इसके गुण कुछ इस प्रकार है
1 . इलेक्ट्रिकल गुण
इसके अन्दर तीन तरह के गुण आते है जिसमे पहला होता है डाई इलेक्ट्रिक स्ट्रेंथ , दूसरा होता है स्पेसिफिक रेजिस्टेंस , तथा तीसरा गुण होता है डाई इलेक्ट्रिक डिस्सिपेशन फैक्टर |
डाई इलेक्ट्रिक स्ट्रेंथ को ब्रेक डाउन वोल्टेज के नाम से भी जाना जाता है | तथा यह इसकी योग्यता को दर्शाती है की इसके इंसुलेटर में कितनी इफेक्टिवनेस है | इसके आयल का एक स्पेसिफिक रेजिस्टेंस होता है | जो वोल्टेज को करंट से विभाजित करने पर प्राप्त होता है | जो की इस ट्रांसफार्मर के तापमान में परिवर्तन के लिए सेंसिटिव होता है |
तथा इसका मापन एक सेंटीमीटर क्यूब के ब्लाक का आयल लेकर उसकी दो अपोजिट साइड के बिच रेजिस्टेंस का मापन करके किया जाता है जो की DC रेसिस्टेंस होता है |
तथा डाई इलेक्ट्रिक डिस्सिपेशन फैक्टर इस बात का मापन करता है की कितनी करंट सिस्टम से लीक हुई है इसके ऑपरेशन के दौरान | इसीलिए इसे लोस फैक्टर या Tan डेल्टा फैक्टर के नाम से भी जाना जाता है |
2 . केमिकल गुण
आयल के अंदर वाटर फैक्टर सही नहीं होता है क्योंकि यह इसके डाई इलेक्ट्रिक प्रॉपर्टी को प्रभावित करता है | यह आयल के इंसुलेशन प्रॉपर्टी को भी कम करता है तथा कोर एव वाइंडिंग के लिए पेपर इंसुलेशन को भी प्रभावित करता है | इसीलिए आयल में एसिडिटी तथा स्लज कंटेंट को भी मिनीमाइज करना चाहिए |
3 . फिजिकल गुण
इसके अंदर ट्रांसफार्मर आयल का इंटर फेसिअल टेंशन , फ़्लैश पॉइंट , Pour पॉइंट , विस्कोसिटी आदि गुण आते है | जिनमे से आयल और वाटर के बिच हाई इंटर फेसिअल टेंशन ही अच्छा माना जाता है | तथा हाई फ़्लैश पॉइंट एव Low Pour पॉइंट को कंसीडर किया जाता है | तथा ट्रांसफार्मर आयल की विस्कोसिटी को Low कंसीडर किया जाता है |
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