आज के इस article मे हम गुरुत्वाकर्षण बल के बारे में चर्चा करेंगे इसमें हम देखेंगे की गुरुत्वाकर्षण बल क्या है गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम इसका महत्व, गुरुत्वीय त्वरण, गुरुत्वाकर्षण बल के अधीन वस्तुओं की गति इन सब के बारे में हम विस्तार से अध्ययन करेंगे
गुरुत्वाकर्षण बल –
एक बार सर आइज़क न्यूटन एक सेब के पेड़ के नीचे बैठे थे अचानक उनके सिर के ऊपर एक सेब गिरा न्यूटन के मन में एक सवाल उत्पन्न हुआ उन्होंने सोचा यह सेब पेड़ से नीचे की तरफ ही क्यों गिरा ऊपर की तरफ क्यों नहीं गिरा
न्यूटन ने इसका बहुत अध्यन किया और अपने अध्ययन के बाद उन्होंने एक निष्कर्ष निकाला की पृथ्वी वस्तुओं को अपनी और नीचे की तरफ आकर्षित करती है और उन्होंने इस आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण का नाम दिया
परिभाषा –
प्रत्येक वस्तु अपने से आकार में छोटी वस्तु को अपनी तरफ आकर्षित करती है इस बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं
- यह बल संरक्षी होता है
- यह सैदेव आकर्षण प्रकृति का होता है
- इस पर मध्यम को कोई प्रभाव नहीं पड़ता
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम-
ब्रह्मांड में उपस्थित हर वस्तु दूसरी वस्तु को अपनी तरफ आकर्षित करती है किन्ही 2 वस्तुओं के मध्य कार्यत आकर्षण बल दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती होता है तथा उनके मध्य की दूरी के वर्ग के व्युतक्रमानुपाती होता है इस बल की दिशा दोनों वस्तुओं को मिलाने वाली रेखा की ओर होती है
माना कोई दो पिंड है जिनके द्रव्यमान क्रमशः m₁ व m₂ है और इनके मध्य की दूरी r है
यदि इनके बीच लगने वाला बल F है तो –
F ∝ m₁m₂ … .. (1)
F ∝ 1/r² ……..(2)
समी. 1 व 2 से –
F∝ m₁m₂/r²
F = Gm₁m₂/r²
जहा G = गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियतांक
G = 6.67×10⁻¹¹Nm²/kg
मुक्त पतन – जब कोई वस्तु की गति का उत्तरदायी गुरुत्वाकर्षण बल होता है तो उसे मुक्त पतन कहते हैं
गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्व –
गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक नियम ब्रह्मांड में होने वाली कई घटनाओं की की व्याख्या करता है
- गुरुत्वाकर्षण बल हमें पृथ्वी से बंधे रखता है
- गुरुत्वाकर्षण बल के कारण ही चंद्रमा पृथ्वी के चारों ओर गति करता है
- गुरुत्वाकर्षण बल के कारण है सूर्य के चारों ओर ग्रह चक्कर लगाते हैं
- चंद्रमा और सूर्य के कारण समुद्र में ज्वार भाटा गुरुत्वाकर्षण के कारण ही आता है
गुरुत्वीय त्वरण-
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण बल के कारण वस्तुओं में उत्पन्न त्वरण को गुरुत्व त्वरण कहते हैं
इसे g से दर्शाया जाता है
माना पृथ्वी की त्रिज्या R है और पृथ्वी की स्तह के ऊपर पृथ्वी के केंद्र O से P बिंदु पर m द्रव्यमान की कोई वस्तु r पर रखी है इस वस्तु की पृथ्वी के स्तह से उचाई h है
तो वस्तु (m) और पृथ्वी (M) के बीच आकर्षण बल-
F = GMn/r² … ..(1) ( न्यूटन के सार्वत्रिक नियम से)
द्रव्यमान m की वजह से लगने वाला गुरुत्व बल –
F = mg ……… (2)
समी. 1 व 2 से –
mg = GMm/r²
g = GM/r²
∴ r² = (R + h )²
पृथ्वी की सतह पर h = 0 होगा तो –
g = GM/R²
- गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी त्रिज्या व घनत्व पर निर्भर करता है जबकि पिंड का द्रव्यमान त्रिज्या और घनत्व पर निर्भर नहीं करता
- Rρ या M/R² का मान बढ़ता है तो g का मान भी बढ़ता है
- यह एक सदिश राशि होती है तथा इसकी दिशा ग्रह की केंद्र की तरफ होती है
- पृथ्वी पर गुरुत्वीय त्वरण g का मान 9.8m/s² होता है
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण के प्रभाव में वस्तुओं की गति-
जब एक समान भार वाले कागज व पत्थर को एक साथ किसी उचाई से गिराया जाता है तो कागज पत्थर की अपेक्षा कुछ देरी से नीचे पहुँचता है क्योकि काजल पर वायु प्रतिरोध अधिक लगता है यदि हम इस क्रिया को निर्वात मे करे तो दोनो वस्तुए एक साथ नीचे गीरेंगीे
जब हम किसी वस्तु को ऊर्ध्वाधर उपर की तरफ फेका जाता है तो वस्तु जैसे जैसे उपर जायेगी तो उसका वेग घटता जायेगा और एक जगह पहुँच कर वस्तु का वेग शुन्य हो जाता है और वस्तु नीचे की तरह आ जाती है इस स्थिति मे g का मान सैदेव ऋणात्मक होता है
और जब वस्तु को उपर से नीचे की और फेका जाता है तो जैसे जैसे वस्तु नीचे की तरफ आती जाती है उसका वेग बढ़ता जाता है इस स्थिति में g का मान धनात्मक होता है
मुक्त पतन मे वस्तुओं का एक त्वरण होता है जो वस्तु के द्रव्यमान से कोई संबंध नहीं रखता इसका मतलब प्रत्येक वस्तु छोटे बड़ी खोखली एक ही वेग से पृथ्वी पर गिरने चाहिए क्योंकि पृथ्वी का गुरुत्व त्वरण g नियत रखता है एक समान गति के लिए त्वरण a के स्थान पर गुरुत्व त्वरण g रखा जायेगा
गति के समी.
v = u + at
S = u + 1/2at²
v² = u² + 2as
जहा –
u = प्रारंभिक वेग
v = अंतिम वेग
s = वस्तु द्वारा t समय में तय की दूरी
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