आज के इस article मे हम आदर्श द्रव के बारे मे जानेंगे की आदर्श द्रव क्या होता है यह किन किन शर्तो का पालन करता है क्या वास्तव में कोई आदर्श द्रव होता है इन सब प्रश्नों का उत्तर इस लेख मे दिया गया है तो इस ध्यान से पढ़े
आदर्श द्रव –
आदर्श द्रव वह द्रव होता है जो नीचे दिये गये इन दोनो नियमो का पालन करता है –
1. द्रव असम्पीडय होना –
द्रव असम्पीडय वह द्रव पदार्थ होता है जिस पर दाबाव डालने पर उसके उसके घनत्व और आयतन पर कोई प्रभाव नही पड़ता है अर्थात वह द्रव जिसकी आयतन विकृति शुन्य पायी जाती है और द्रव का आयतन प्रत्यास्थता गुणांक अनन्त होता है वैसे देखा जाये तो तरल पदार्थों पर दाबाव डालने पर उनके आयतन मे ना के बराबर परिवर्तन होता है उदाहरणार्थ पानी पर दाबाव डालने पर ना के बराबर आयतन मे परिवर्तन होता है जल के आयतन में परिवर्तन 4.8 × 10⁻⁵ प्रति atm होता है
गैसो की संपीड़यता द्रवो की तुलना मे बहुत ज्यादा होती है
2. शुन्य श्यानता का होना –
शुन्य श्यानता का मतलब है की द्रवो मे पायी जाने वाली परतो के मध्य सापेक्ष गति होने के कारण उसके स्पर्श रेखीय घर्षण बल उपस्थित ना हो मतलब अगर द्रव को एक बार गति दे दी जाए तो वह लगातार गति करते जाए पर वास्तविकता में द्रवो की कुछ ना कुछ तो शयनता जरूर होती है यह द्रवो मे ज्यादा पायी जाती है और गैसो मे बहुत ही कम पायी जाती है
आदर्श द्रव की संपीड्यता व शांता दोनों शुन्य होनी चाहिए
वास्तव में आदर्श द्रव जैसी कोई चीज नहीं होती यह केवल एक कल्पना मात्र है
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