अनुनाद नली –
जब ऑर्गन नली में हवा के स्तम्भ में दोलन की आवृति स्वरित्र की आवृति के बराबर हो तब इस घटना को अनुनाद कहते है। व हमें जोर से आवाज सुनाई देती है ऑर्गन नली में पानी स्तम्भ की लम्बाई को परिवर्तित कर हवा स्तम्भ की लम्बाई में परिवर्तन करते हैं ।इस उपकरण का प्रयोग ध्वनि की चाल को ज्ञात करने में किया जाता हैअनुनाद प्रणोदित दोलन का ही एक उदाहरण है।
प्रकार –
अनुनाद दो प्रकार के होते है
- श्रेणी अनुनाद विद्युत परी पथ
- समांतर अनुनाद विद्युत परी पथ
इसके लिए आवश्यक नियम–
) विभिन्न अनुनादी संरचनाओं में विभिन्न परमाणु की स्थिति ज्यादातर बराबर रहनी चाहिय। सिर्फ उनके ही इलेक्ट्रॉनिक विन्यास में बदलाव हो सकता है।
(2) सब कैनोनिकल सूत्रों में अयुग्मित इलेक्ट्रॉनों की संख्या बराबर होनी चाहिये।
(3) सभी संरचनाओं की ऊर्जा ज्यादातर बराबर होनी चाहिये।
प्रभाव –
अनुनाद कुछ अणुओं में डेलोकाइज्ड इलेक्ट्रॉनों (Delocalised) को बताने की एक विधि है यहां बॉन्डिंग को पूर्ण रूप से एकल ल्यूवन संरचना के तहत बताया नहीं जा सकता है। सभी लुईस संरचना को लक्ष्य अणु अथवा आयन की एक योगदान संरचना कहा जाता है।
बंद ही अनुनाद –
भौतिकी में लगभग तंत्रों (सिस्टम्स्) की ऐसी प्रवृत्ति होती है कि वे कुछ आवृत्तियों पर बहुत ज्यादा आयाम के साथ दोलन करते हैं। इसी प्रिस्थिति को अनुनाद (रिजोनेन्स) कहते हैं। जिस आवृत्ति पर सबसे ज्यादा आयाम वाले दोलन की प्रवृत्ति मिलती है, उसी आवृत्ति को अनुनाद आवृत्ति कहते हैं। वही अनुनाद आवृत्ति कहलाती है
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